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तुलसी की दादी
एक सदी पहेले की बात है।

बरगद बनने की ख़्वाहिश लिए एक बीज जमीन में धंसा जा रहा था।

उसे नहीं पता था वह एक वटवृक्ष है, जो सदी कि रौनक बनने वाला है।



उसी काल दरमियान एक नन्हीं परी ने जन्म लिया। उसकी माता तो उसे जन्म देते ही देवलोक प्राप्त कर चली गई।

उसके पिता ने उसे तुलसी नाम दिया। तुलसी का विवाह बल्या अवस्था में करीब १३ वर्ष की आयु में हो गया।

उसका सांसारिक जीवन अच्छे से चल रहा था लेकिन सालों बीत गए उसे बच्चे नहीं हो रहे थे। यह बात लोगो को ऐसे खूछ रहीं थी जैसे पाँव में कांटा घुस गया हो।



तुलसी की सास को कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन सास की सहेलियां और रिश्तेदारों ने उसके कान में अनाप शनाप बातें करना चालू कर...