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तराजू

पति की आकस्मिक मृत्यु ने सुगंधा को निष्प्राण कर दिया था। पति के इलाज में लिया कर्जा, बेटी की पढाई, घर चलाने की व्यवस्था, बिना पति के सहारे जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना वो करेगी कैसे? ये सब डरावना सच उसको रह रह कर अधमरा कर देता। तेरहवीं तक तो नजदीकी रिश्तेदार साथ रहे, साथ क्या रहे उसके लिए तो पल पल आघात रहे।

विधवा का जीना कोई जीना है!!!

इस होनी को अपना भाग्य मान ले और काट ले रही सही जिंदगी!

दुनिया अकेली औरत को दबोचने को बैठी है, अपने...