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एक अधूरी कहानी जो अधूरी रह कर भी पूरी है.........
कहानी हैं एक लड़की की जो गांव में रहती हैं और ख़्वाब सारे बुनती हैं ख्यालों में और अंदर से टूटी बिखरी रहती हैं ,
अपने ही ख्याल में सिमटी गुमसुम सी रहती हैं।
न बाते किसी से ज्यादा, न किसी के पास वो बैठती हैं।
बस वो अपना ताना बाना खुद में खुद का बुनती हैं।
मिला उसे एक लड़का जो था कुछ पागल सा।
हुई जान पहचान दोनों में बाते कुछ होने लगी। लड़का था बिखरा अंदर से लड़की समझने लगी,
पर बात बात में उससे कहती दोस्ती ठीक हैं प्यार न कर लेना।
मैं बेउम्मीद रहती तुम मुझसे कोई उम्मीद न कर लेना।
वो बाते करने लगा रोज सा ख्याल वो रखने लगा,
अंदर ही अंदर वो मेरा इंतजार करने लगा।
वो लड़की जिद्दी सी कहा पिघलने से रही
कितनी बार थोड़ा उसका दिल, कितनी बार बातें उससे न की।
वो चुपचाप सब सहता गया और अंधेरी रातों में अकेले रोता रहा,
साल गुजरे कुछ ,समय बीता,मौसम बदला आई हरियाली एक पतझड़ के बाद।
मिली दुनियां की दूजी खुशी उस लड़की के एक हा के साथ,
मां हैं उसकी पहली खुशी ये जान कर हुआ उस लड़की को खुशी का एहसास।
वो लड़की खुश हुईं की हैं आज भी ऐसे लोग जो पहले रखते अपने मां पिता को नही भूल जाते वो बाबू सोना के आगे।
मिले न थे वो दोनो पर बाते होने लगीं बेहिसाब,
समय बीतता गया वो एक विश्वास में बंध गए,
जो रूह को जोड़ती वो ऐसे प्यार के रिश्ते में जुड़ गए,
मीलो दूर रहकर भी एक दूजे के दिलों में वो मे बस गए ,
और वो आज भी दूर रहकर भी एक दूसरे के पास हैं,
बातें नही होती बेहिसाब पर प्यार बेहिसाब हैं,
बस इतनी सी हैं ये कहानी पर ये चलती रहेंगी
हम दोनों के साथ ताउम्र।



© Pooja Sharma (Janu)