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दिमाग की कसरत
मेरे एक अविवाहित मित्र ने पूछा भाई एक बात बताओ कि शरीर की कसरत के लिए चलते है दौड़ते है या जिम में कसरत करते है पर दिमाग की कसरत कैसे और कहाँ हों सकती है?
मैंने अबोध मित्र से कहा कि दिमाग की कसरत के लिये कहीं जाने की जरूरत नही,ये घर पर ही हो सकती है।
दिमाग की कसरत के लिए महत्वपूर्ण उपकरण है बीवी,शादी कर लो फिर आपकी दिमाग की कसरत शुरू।
मित्र ने कहा वो कैसे ज़रा समझाइए?
पहली दिमाग की कसरत
हाँ और ना कि समझ
इस कसरत में अंत तक समझ नही आएगा कि हाँ का मतलब नहीं और हाँ दोनो शामिल है
उसी तरह ना का मतलब ना और हाँ भी है। और कभी कभी हाँ या ना का मतलब कुछ और ही निकलेगा "सब तुम्हारी गलती थी"
कसरत नम्बर दो
आखों के एक जैसे इशारे जिसके अनेक मतलब जैसे
तुम बोलो,तुम चुप रहो,बैठे रहो,खड़े हो जाओ,बाहर जाओ,बाहर मत जाना,
अजीब अजीब सी कसरत होती है भाई दिमाग तो तलवार की तरह तेज़ हों जाता हैं पर बीवी के सामने इसकी धार कुंद ही रहती है।
तीसरी कसरत
जब बीवी कहे आज खाने में क्या बनाऊं?
पहला मतलब चलो बाहर खानें चलते है या फिर जो तूमको हो पसंद वह काम न करेंगे। और तो औऱ जो सब्जी आप कहेंगे वो तो फ्रिज में नही रहेगी,रहेगी तो बच्चों को पसंद नही,और बच्चों के पसन्द हों तो भी उसे बनाने में ढेर सारी परेशानी आएगी बहुत से मसाले गायब हो जाएंगे।
और बीवी का मकसद पूरा हो जाएगा आप फंस चुके है।
हो गयी न दिमाग की कसरत
संजीव बल्लाल
© BALLAL S