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सीमित साधन ( चिन्तन)

प्रकृति ने हमें बहुत कुछ साधन दिया है। हमें इसको सही तरह से व्यवहार करना चाहिए। मनुष्य अपनी सुख सुविधा के लिए कुछ साधनों का आविष्कार किया है।
लेकिन अपनी सहूलियत के लिए प्रकृति के साधनों को नुक्सान पहुँचा दिया है। अगर इसी तरह से व्यवहार करते रहे तो, सारे साधन का अंत होगा, जिसका जन्म या सृष्टि होना असंभव है।

जितनी बड़ी चादर, उतना पैर पसारना सही होता है। ठीक वैसे ही साधनों को अपने भविष्य नस्ल के बारे में सोच कर, जरूरतों के लिए खर्च करें तो अच्छा है। सीमित है गर कोई चीज, उसी से गुजारा करने से ना चोरी या डकायती भी ना हो। कोई ज़ुर्म भी ना हो। सीमित साधन हमको संयमता रखना और अदब से कहना, जीवन में खुशियों को समेटना सीखाता है।
यह वर्तमान के साथ भविष्य के लिए भी तैयार रखता है।
यही है जो हमको थोड़े में भी पूरा होना सीखाता है।


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