...

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दादाजी की हथेली
] जब हम छोटे थे दादा जी का हाथ थाम कर हर रोज शाम को निकल पढ़ते थे , दादा जी हमें बस स्टॉप की ओर ले जाया करते थे.
[ ] ना जाने क्यों आज जब हम वही खड़े हैं और हमें वो पल याद आया,
[ ] “दादू हम कहा जा रहे हैं?
[ ] हम जा रहे हैं शर्मा जी की दुकान.
[ ] लेकिन क्यों? वहां तो चॉकलेट और समोसा नहीं मिलता.
[ ] मेरी प्यारी परी को चॉकलेट चाहिए.
[ ] आये गुरूजी बैठये, आज गुड़िया रानी भी आयी हैं गुड़िया रानी को कौन सी चॉकलेट पसंद हैं ये सब रखा लो आप ”
[ ] (मै दादाजी से लिपट कर उनके हाथो के पीछे छुपा गयी और जब तक दादाजी ने नहीं कहाँ चॉकलेट लेने के लिए मैने नहीं लिया. )
[ ] गुरूजी आप की परी तो चॉकलेट नहीं ले रही हैं, दादाजी मुस्कुराये और मैंने (डरते हुए हाथ बढ़या और ले लिया , और दादाजी फिर कुछ सामान दुकानदार से मांगने मे व्यस्त होगये और मै उनके हाथो को पकड़े हुए उनसे लिपटी रही बिकुल वैसे जैसे कोई व्यक्ति तेज हवा मे
[ ] किसी बरगद के पेड़ की लाटकती जड़ से लिपटा होता हैं. )
[ ] और कुछ गुरूजी, हा एक 80 पेज की abcd वाला और ,
[ ] बस गुरूजी मै समझ गया ये लीजिये आप की 3 कॉपी, और सीस, रबर, कटर. और ये आप का बिल.
[ ] फिर हम वैसे चले गए तब दादाजी मुछे गुप्ता अंकल के दुकान लेके गए, गुप्ता अंकल की दुकान जहा धूल लगे जूते कई सालो से रखे थे ऊपर का बोर्ड जिसमे रंग धुनधले पढ़ गए थे, निचे का करपेट बहुत पुराना था सामन पर धुल था, लेकिन अंदर के सामान नये थे फिर उन्होंने मुछे चेयर पर बैठने को कहा, लेकिन मै डर कर दादू से ऐसी चिपकी हुयी थी की दादू की कमीज का क्रीज भी खराब होगया फिर दादाजी ने मुछे आपने गोद मे बिठा लिया और गुप्ता अंकल ने एक सुन्दर सी जुती जो बॉक्स मे रखी थी कर मेरे पैरो मे पहना दिया , फिर दादू ने मुछे देखा और कहा इसे पैक करदो और गुप्ता अंकल ने कहा जी गुरूजी. दादू ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा चलते हैं गुप्तजी, और हम वहा से घर की और चलने लगे फिर दादाजी को किसीने आवाज लगयी” नमस्ते गुरूजी, नमस्ते
[ ] कहा जारी हैं नेपाली बीटीया ,
[ ] गुरूजी नया फल आया लेकर जाये कल ही आया हैं,
[ ] दादू चलिए ना,
[ ] अच्छा भाई चलते हैं, बाद मे लेजाऊगा भाई.
[ ] हम घर भेजवा देनेगें गुरूजी आप दुकान आने की तकलीफ नहीं उठाएगा.
[ ] दादू नेपाली का क्या मतलब हैं?
[ ] नेपाली देश का नाम हैं मेरी गुढ़िया रानी,
[ ] अच्छा ये बताओ मेरी गुढ़िया दुकान मे क्यों डर गयी थी,
[ ] दादू अंकल की बढ़ी -बढ़ी मुछे थी, अच्छा तो ये देख के डर गयी थी मेरी गुढ़िया, लेकिन मेरी गुड़िया तो किसी से नहीं डरती.
[ ] हम्म.
[ ] (जब आज मै उस बस स्टॉप पर फिर खड़ी थी तो मुछे सब कुछ बदला सा लग रहा हैं भले ही शर्मा अंकल के दुकान मे ज्यादा बदलाव नहीं हुआ शिवाय ये की उनके चेहरे मे झुर्रियां आगयी थी और उनके बाल डाई किए हुए थे, लेकिन उनके कुछ सफेद बाल छूट गए थे जो उनकी उम्र को बयां कर रहा था, चारो तरफ का नजारा बदल सा गया हैं उन धुंधली यादो के साथ, ये सब आज किसी के साथ न होने की याद दिला गया, कुछ नई दुकाने तो कुछ नये चेहरे हैं. )
[ ] एक पल जब आँख बंद कर उस पल को महसूस किया तो वो हाथ और वो हसी याद आयी कैसे उनके हाथो मे रखे चॉकलेट को चुपके से खा लेना और नन्हे से हाथे से उनके आँखो को बंद करना और पूछना चॉकलेट कहा हैं, और सब कुछ जानते हुए भी उनका अनजान बनना और पूछना “अले कहा गया मेला चॉकलेट”, उनकी गोदी मे बैठ कर पहला अक्षर बनाना सिकना वो मेरा हाथ पकड़ कर शून्य बनाना और उनकी हाथेली से अपनी हथेली मिला कर ताली बजाना.