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"गाँव की लड़की"
गीता एक भोली भाली गाँव की लड़की थी। बेहद अल्हड़ और खुद में ही मस्त रहने वाली लड़की। श्याम एक फोरेस्ट ऑफिसर के पद पर था और इस गाँव में ही उसका स्थानांतरण हुआ था। श्याम अपने माता पिता की तीसरी संतान थीं पहली बड़ी बहन और बड़े भाई का क्रमशः विवाह हो गया था लेकिन श्याम अभी अविवाहित था। उन दिनों जब वो गाँव आया था तो बहुत बारिश हो रही थी कि एक दिन उसके पास मंगलू आया उसके हाथ में एक बर्तन में कुछ था,श्याम के पूछने पर वो मुस्कुरा कर बोला बाबूजी मेरी बिटिया ने गर्म पकौड़े बनाये है सोचा आप के लिए ले चलूँ श्याम ने वो पकौड़े खाये तो उसे बहुत अच्छे लगे और खाकर उसने पकौड़े की खूब तारीफ की।
गाँव के लोग अक्सर ही उसके पास खाने पीने का कुछ न कुछ सामान लेकर आते थे,कोई फल ले आता कोई अपने खेत की सब्जी तो कोई दूसरा कोई सामान,लेकिन मंगलू की बेटी के हाथों में बड़ा स्वाद था। इसलिए श्याम एक दिन मंगलू से बोला सुनो मंगलू अबकी जब तुम आओ तो अपनी बेटी को भी साथ लेते आना मै उससे मिलना चाहता हूँ कि देखें कौन है वो जो इतने प्यारे प्यारे पकवान बनाकर मुझे खिलाती है,वैसे नाम क्या है तुम्हारी बेटी का श्याम ने पूछा तो मंगलू बोला जी गीता है तब श्याम बोला ठीक है अबकी जब आओगे तो गीता को भी लेकर आना।
फिर कुछ दिनों बाद एक दिन दरवाजे पर दस्तक हुई तो श्याम ने दरवाजा खोला सामने मंगलू और उसकी बेटी थी तभी मंगलू बोला जी ये है मेरी बेटी गीता तो गीता ने श्याम को नमस्कार किया लेकिन श्याम मूक सा गीता को देखता ही रह गया लंबे काले सुन्दर बाल बड़ी बड़ी आंखे और आकर्षक देहयष्टि।
उधर गीता भी श्याम को देखकर चकित थी गोरा रंग घुंघराले बाल और सुदर्शन चेहरा। फिर श्याम ने दोनों को बैठने को कहाँ और गीता के खाने की खूब तारीफ की,गीता भी सर झुका कर सुनती रही। कुछ देर बाद दोनों चले गए।
उनके जाने के बाद श्याम भी अपने काम में व्यस्त हो गया लेकिन बार बार गीता का चेहरा उसकी आँखों के सामने आ जाता और वो सबकुछ भूल बैठता।
अब धीरे धीरे मंगलू के साथ कभी कभी गीता भी आ जाती और श्याम और गीता एक दूसरे को मुस्कुरा कर देख लेतें,एक दिन श्याम ने बातों बातों में मंगलू से गीता का हाथ मांग लिया, सुनकर मंगलू भावुक हो उठा और बोला बाबूजी हम गरीब लोग है ये तो हमारी खुशनसीबी है जो हमारी बिटिया को आप अपनी जीवन संगिनी के तौर पर मांग रहे है।
उधर जब श्याम ने फोन पर अपने माता पिता को इस बारे में बताया तो वो बिलकुल भी प्रसन्न नहीं हुए लेकिन श्याम ने भी साफ कह दिया कि वो अगर विवाह करेगा तो सिर्फ गीता से ही आखिर हार कर उन्हें भी मानना पड़ा।
एक दिन श्याम के माता पिता और बड़े भाई आकर गीता को देख गयें गीता उन्हें भी पसंद आई मगर गाँव की होने पर वो थोड़ा असन्तुष्ट थे खैर फिर भी वो बात पक्की कर चले गए। नियत समय पर श्याम और गीता का विवाह शहर जाकर श्याम के घर जाकर हुआ। शादी के बाद दोनों वापस गाँव चले आए। शादी की पहली रात्रि श्याम ने गीता को खूब प्यार किया और गीता भी श्याम के सानिध्य को पाकर आत्मविभोर हो उठीं।
एक बार श्याम के माता पिता और कुछ मित्र श्याम के घर आए तो गीता ने सबके आदर सत्कार में कोई कसर नही छोड़ी और बेहतरीन पकवान बनाकर उनको खिलाए श्याम एक फोरेस्ट ऑफिसर था घर में नौकर चाकर की कोई कमी नहीं थी फिर भी गीता ने सबको खुद खाना बनाकर खिलाया और पाक कला में वो निपुण थी ही इसलिए सभी उसके बनाये भोजन से और आदर सत्कार और अच्छे व्यवहार से अभिभूत हो गयें। वापस जाते समय माँ श्याम से बोली बेटा मै गलत थी मैने सिर्फ उसे एक गाँव की लड़की के तौर पर ही देखा जबकि उसके आदर सत्कार और अच्छे संस्कारों ने आज हम सभी का दिल जीत लिया है सदा सुखी रहो तुम दोनों। जाते वक्त वो गीता को सोने के कंगन और कुछ साड़ियां देकर गई।

(समाप्त) - समय- शाम 4:34- सोमवार
25.3.24


© Deepa🌿💙