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मैं महिलाओं के प्रति सहानुभूति रखता हूँ,मैं ही यानि कि मृदुलकुमार , महिलाओं के प्रति सहानुभूति नहीं भी रखता हूँ कहूँ तो घृणा भी रखता हूँ ।
मैं महिलाओं के प्रति सहानुभूति रखता हूँ,
मैं ही यानि कि मृदुलकुमार , महिलाओं के प्रति सहानुभूति नहीं भी रखता हूँ कहूँ तो घृणा भी रखता हूँ ।
कारण बिल्कुल स्पष्ट हैं ,
घृणा करने के लिए,
देखिये मैं सिर्फ उन महिलाओं या उस प्रवृत्ति की महिलाओं से घृणा करता हूँ जिनकी मनशा ईर्ष्यालु होती है ,जिनकी प्रवृत्ति पूर्णतः पक्षपात से भरी होती है, लालच का लेवल इतना कि बिना दहेज की बहू फूटी आंखों नहीं सुहाती है ।
अच्छा ईर्ष्या या घृणा का एक उदाहरण और प्रस्तुत करता हूँ,
कुछ विशेष महिला पात्र ऐसी भी भूमिका निभाती हैं कि उनके अपने बच्चों से प्यारा कोई दूसरा है ही नहीं,
न तो उनके बेटे से ज्यादा कोई अच्छा, न दूसरों के बच्चों को भूख लगती है, न उनका मन होता है कि कोई हमसे अच्छे से बोले,
बस इन्हीं के बेटे होतें हैं जिनको लगता है कि मेरे बेटे के साथ बाकी लोग बहुत शालीनता से पेश, इनको कोई कुछ कहे न,
खुद दूसरों के बच्चों को अच्छे से पूछें भी न, उसका कुछ नहीं।
देखता हूँ कि...