कोरोना पर बनायें हुए नियम
*जिस छुआछूत को बदनाम कर-कर के उपन्यासों में फिल्मों में ब्राह्मणों को झूठा और फर्जी बदनाम किया गया, वहीं छुआछूत आज विश्व की ब्रह्मास्त्र बनकर रक्षा कर रहा है*
*(एक बार जरुर पढ़ें थोड़ा बड़ा है लेकिन अच्छा सन्देश)*
आपने अपने शास्त्रों का एवं ब्राह्मणों का खूब मज़ाक उड़ाया था जब वह यह कहते थे कि जिस व्यक्ति का आप चरित्र न जानते हों उससे जल या भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
क्योंकि आप नहीं जानते कि अमुक व्यक्ति किस विचार का है , क्या शुद्धता रखता है, कौन से गुण प्रधान का है, कौन सा कर्म करके वह धन ला रहा है, शौच या शुचिता का कितना ज्ञान है, किस विधा से भोजन बना रहा है, उसके लिए शुचिता या शुद्धता के क्या मापदंड हैं इत्यादि !!!
आपने ब्राह्मणों पर जातिवादी और छुआछूत बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा के इन्हें अन्य व्यक्तियों के छाया पड़ने से भी छूत लगता है!
किन्तु वर्तमान समय में एक करोना वायरस की वजह से सभी को *एक मीटर तक की दूरी बनाए रखने की हिदायत पूरा विश्व दे रहा है* और जो व्यक्ति दूरी नहीं बनाता है उसे सजा देने का काम कर रहे हैं। पूरा विश्व लॉकड़ाउन का पालन करने को मजबूर है!
जिसका चरित्र नहीं पता हो , उसका स्पर्श करने को भी मना किया गया है।
अब बात समझ में आई ? *छाया एक माप हैं, व्यक्ति से व्यक्ति के बीच मैं दूरी बनाए रखने की!*
शास्त्रों द्वारा जब यह बताया गया कि हर जगह पानी और भोजन नहीं करना चाहिए, तब आपने इसको मूर्खता और discrimination कहा करते थे !
बड़ी हँसी आती थी तब !!!! बकवास कहकर आपने अपने ही शास्त्र और ब्राह्मणों को दुत्कारा था।
और आज ??????
यही जब लोग विवाह के समय वर वधु की 3 से 4 पीढ़ियों का अवलोकन करते थे कि वह किस विचारधारा के थे, कोई जेनेटिक बीमारी तो नहीं, किस height के थे , कितनी उम्र तक जीवित रहे , खानदान में कोई वर्ण-संकर का इतिहास तो नहीं रहा इत्यादि ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि आने वाली सन्तति विचारों और शरीर से स्वस्थ्य बनी रहे और बीमारियों से बची रहे , जिसे आज के शब्दों में GENETIC SELECTION बोला जाता है।
कमाल देखिए, अब देश विदेश के हाई सोसाइटी में जेनेटिक्स सलेक्शन के आधार पर संबंध बनाए जाने पर बल दिया जाता हैं।
शास्त्रों के नियम कि जल ही शरीर को शुद्ध करता है और कोई तत्व नहीं, बड़ी...
*(एक बार जरुर पढ़ें थोड़ा बड़ा है लेकिन अच्छा सन्देश)*
आपने अपने शास्त्रों का एवं ब्राह्मणों का खूब मज़ाक उड़ाया था जब वह यह कहते थे कि जिस व्यक्ति का आप चरित्र न जानते हों उससे जल या भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
क्योंकि आप नहीं जानते कि अमुक व्यक्ति किस विचार का है , क्या शुद्धता रखता है, कौन से गुण प्रधान का है, कौन सा कर्म करके वह धन ला रहा है, शौच या शुचिता का कितना ज्ञान है, किस विधा से भोजन बना रहा है, उसके लिए शुचिता या शुद्धता के क्या मापदंड हैं इत्यादि !!!
आपने ब्राह्मणों पर जातिवादी और छुआछूत बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा के इन्हें अन्य व्यक्तियों के छाया पड़ने से भी छूत लगता है!
किन्तु वर्तमान समय में एक करोना वायरस की वजह से सभी को *एक मीटर तक की दूरी बनाए रखने की हिदायत पूरा विश्व दे रहा है* और जो व्यक्ति दूरी नहीं बनाता है उसे सजा देने का काम कर रहे हैं। पूरा विश्व लॉकड़ाउन का पालन करने को मजबूर है!
जिसका चरित्र नहीं पता हो , उसका स्पर्श करने को भी मना किया गया है।
अब बात समझ में आई ? *छाया एक माप हैं, व्यक्ति से व्यक्ति के बीच मैं दूरी बनाए रखने की!*
शास्त्रों द्वारा जब यह बताया गया कि हर जगह पानी और भोजन नहीं करना चाहिए, तब आपने इसको मूर्खता और discrimination कहा करते थे !
बड़ी हँसी आती थी तब !!!! बकवास कहकर आपने अपने ही शास्त्र और ब्राह्मणों को दुत्कारा था।
और आज ??????
यही जब लोग विवाह के समय वर वधु की 3 से 4 पीढ़ियों का अवलोकन करते थे कि वह किस विचारधारा के थे, कोई जेनेटिक बीमारी तो नहीं, किस height के थे , कितनी उम्र तक जीवित रहे , खानदान में कोई वर्ण-संकर का इतिहास तो नहीं रहा इत्यादि ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि आने वाली सन्तति विचारों और शरीर से स्वस्थ्य बनी रहे और बीमारियों से बची रहे , जिसे आज के शब्दों में GENETIC SELECTION बोला जाता है।
कमाल देखिए, अब देश विदेश के हाई सोसाइटी में जेनेटिक्स सलेक्शन के आधार पर संबंध बनाए जाने पर बल दिया जाता हैं।
शास्त्रों के नियम कि जल ही शरीर को शुद्ध करता है और कोई तत्व नहीं, बड़ी...