...

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नन्ही गुड़िया
सुनती वो नन्ही सी गुड़िया
नानी, दादी से परियों की
कहानियां.....
वो राजकुमार का सपना
उसने आंखो मे बसा लिया
वो राजकुमार जो उसे राक्षस
से बचाएगा , हर मुश्किल घड़ी
में उसका साथ निभायेगा
बीते महीने साल गए , गुड़िया
रानी के सपने परवान चढ़ते
गए गुड़िया रानी बड़ी हुई
विवाह की अब घड़ी हुई ..........
आई डोल ताशे की आवाज़
बारात कर रही प्रस्थान , गुड़िया
खिड़की से अपने राजकुमार
को निहार रही , जिस सपने को
वो अब तक थी , देखती आई
उसे अब जीने चली, विवाह हुआ
गुड़िया घर आई , खुशियां , सपने
अरमान संग लाई , घर में उसका
बड़ा मान हुआ, फूलों से सत्कार
हुआ , कुछ दिन खुशी खुशी यूं
ही बीत गए , फिर धीरे धीरे सब
के असली चेहरे दिखे , जरा जरा
सी बात पर उसे सुनाया जाता था
उसकी मां बाप की परवरिश पर
सवाल उठाया जाता था, जिसे
समझा उसने राजकुमार , वो राक्षस
बनकर उसकी जिंदगी में आया था।
शराब पीता, उसे मारता उसे बस
उपभोग की एक वस्तु मानता .....
जिस महल के सपने वो बुनती आई
वो घर अब जेल हो गया, गुड़िया का
उसमें दम घुटने लगा , उसे शिकायत
थी नानी की कहानियों से जिसमे
राजकुमार का जिक्र तो हुआ ,पर
राजकुमार भी राक्षस निकल सकता
है ये ना कहा गया।
परियों की कहानियां सिर्फ कहानियों
तक सीमित रहती है , कई बार जिंदगी
आपको राजकुमार की आड़ में राक्षस
से मिला देती है........।




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