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कुरजा
बात उस समय की है जब मेरी मम्मी मेरी उम्र की थी । उस समय मेरे नाना जी के एक गाय थी ,उसका नाम कूरजा था । वो एक इंसान कि तरह रहने वाली गाय थी । मेरे नाना जी उसको बहुत चाहते थे। वो चाहे दूध दे या ना दे ,उसको हमेशा बांट देते थे। मेरी मम्मी की बड़ी बहन जी की अपने नाना अर्थात मेरी मम्मी के नाना के पास रहती थी । उनको उस गाय के बारे में पता नहीं था।
उस गाय को गुस्सा भी बहुत आता था। मेरी मासी जी ने उसको बांट नहीं दिया और उसको एक लकड़ी की मार दी और खोल दिया । क्योंकि उस समय वो गाय दूध नहीं देती थी। तो मेरी मासी जी ने सोचा कि यह दूध तो देती नहीं है। इसलिए इसको बांट देने से क्या मतलब है। यही सोचकर मेरी मासी ने उस गाय को खुला छोड़ कर एक लकड़ी की मार दी और उसे दूसरे खेत की तरफ छोड़ दिया । उस गाय को गुस्सा आ गया और वो गुस्से में बाहर कि ओर अग्रसर हो गई । तभी मेरे नाना जी ने उस देख लिया तो उन्होंने मेरी मासी से पूछा कि गाय कहां जा रही है? तब मासी जी ने जवाब दे दिया । नाना जी ने कहा कि गाय को रोको मेरे सारे मासी ओर मामा जी ने बहुत कोशिश की पर वो वापस नहीं अयी। वो भाग कर हमेशा हमेशा के लिए चली गई।उस दिन मेरे सभी मामा ओर मोसियो ने उस गाय को खूब खोजा पर वो नहीं मिली।
भीर भी सभी ने उसे तीन दिन तक खोजा पर वो नहीं मिली। चोथहे दिन वो गाय एक खेत में मर्त मिली । तब चारो तरफ यह बात फेल गई की इतने दिन तक तो गुस्से में आकर इंसान मरते थे । पर इस कलियुग में तो जानवर भी मारने लग गए हैं।

इसलिए हमे किसी भी जीव को परेशान नहीं करना चाहिए। साथ ही किसी भी जानवर को पाल कर जब वो दूध देना बंद करने पर नहीं छोड़ना चाहिए। उनको भी गुस्सा ओर दर्द होता है।

© रूप(R.G.H.)