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शर्त टूटने पर लगी स्वाभिमान को ठेस
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी।आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा। और अगर वह आम ना तोड़कर ला सका तो वो शर्त हार जाएगा और पूरे गांव वालों को सामने वह उससे माफी मांगेगा और कभी आगे से शर्त नहीं लगाएगा। पर अगर मैं शर्त जीत गया तो आनंद को वह सब काम करने पड़ेंगे जो मैं उससे कहूंगा दोनों इस बात के लिए सहमत हो जाते हैं।अपने शर्त को पूरी करने करने के लिए चंदन हवेली की तरफ बढ़ता है। हवेली में जाते हुए हवेली के मालिक चंदन को देख लेते हैं और उसे आवाज़ लगाकर अपनी तरफ बुलाते हैं। मालिक की आवाज सुनकर चंदन मालिक की तरफ जाता है।तब मालिक उससे पूछते हैं कि चंदन आज कैसे आना हुआ हवेली में, तब चंदन कहता है कि बहुत समय हो गया था मालिक आपसे मिले हुए,इसलिए आज आप के दर्शन करने के लिए मैं हवेली में आ गया चंदन मालिक के साथ ही इधर-उधर घूमता रहा जब मालिक को किसी काम के लिए बाहर जाना था तो चंदन को बोलते हैं कि चलो ठीक है। तुम बैठो मैं पंचायत में जाकर आता हूॅं।तब आनंद को लगता है, कि यही सही मौका है कि वह हवेली के बगीचे से 10 आम तोड़कर अपनी शर्त को जीत लेगा मौका देखते ही आनंद बगीचे की ओर बढ़ने लगता है।एक बार फिर उसे पीछे से आवाज सुनाई देती है।चंदन तुम जहां कैसे आवाज सुनकर चंदन बहुत बुरी तरह से घबरा जाता है और घबराते हुए कहता है नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही बगीचे में टहल रहा था। देख रहा था बगीचे में बहुत सारे आम लगे हैं।सुबह से शाम हो जाती है पर चंदन आम तोड़ने में कतई ही सफल नहीं हो पाता है और अब उसे भी लगने लग जाता है।कि वह अपनी शर्त अब हार जाएगा।रात होने को आ गई पर चंदन आम नहीं तोड़ पाया बिना अपनी शर्त पूरी किए ही चंदन वापिस घर को लौट आया और उसे सारी रात नींद नहीं आती वह सारी रात यही सोचा रहा कि कल सुबह आनंद उससे पूछेगा उसने अपने शर्त पूरी की या नहीं तो वह क्या जवाब देगा।अगले दिन आनंद उससे मिलता है और कहता है। कि बता चंदन तुमने अपनी शर्त पूरी की जा नहीं चंदन का चेहरा मुरझाया हुआ देखकर आनंद समझ जाता है कि चंदन अपनी शर्त पूरी नहीं कर पाया। शर्त के मुताबिक चंदन को पूरे गांव वालों के सामने माफ़ी मांगता है और आगे से कभी भी शर्त ना लगाने की कसम खाता है।