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आत्म संगनी ओर व्रत त्यौहार और मेरे प्रति समर्पण
आत्म संगनी ओर व्रत त्यौहार और मेरे प्रति समर्पण

मेरा और आत्म संगनी का संबंध अभी अटूट हो चुका था।उसके सीने में धड़कता दिल उसका जरूर था पर धड़कता मेरे ही लिए था। उसका मुझे देख देखकर बलाएं लेना चूमना अब रोज का शगल बन गया था। उसका निर्जला व्रत भूख प्यास को त्याग कर महज मेरे खातिर गर्मी को नजर अंदाज करके रखना मुझे...