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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त है।।
मगर जिस नायिका ने अपनी योनि तथा चूत से उसके कड़े औजार से उसके मल को अपनी योनि तथा चूत पर प्राप्त करके उसके अस्तित्व की आसीमता को अपना विभकितश्रोत कालश्रोथ लिगश्रोथ जातिश्रोत देकर तथा उसके औजार को अपनी योनि में घुसेड़वा कर तथा उसे अपनी चूत के वीर्य तथा उसके लन्ड से मल्य स्वरूप समर्पण संग्रह पाकर इस गाथा को अपनी योनि व चूत से उत्पन्न हुए उसके अस्तित्व को भी शून्य घोषित कर इस गाथा में अपनी उस समापन श्रृंखला का वर्णन किया जिसमें उसने अपने किस अंग तथा उसके किस मूल्य को सिद्ध
पादार्थ का मूल्य देकर इस गाथा का मूल्य व आशय स्पष्ट किया गया है तथा वह किस चित्रांक में सिद्ध करार घोषित हुई।। इसके बाद गाथा सिद्ध घोषित कर दी गई।।
जिसके बाद उस आत्मा ने स्वयं को ही परमात्मा बताकर अर्थात एक असम्भव व अनन्त की इस "स्वांग नाट्य रूपांतरण श्रृंखला गाथा में उस आत्मिका परमात्मिका होकर परमात्मा में लीन व सिद्ध होकर स्वयं के स्त्रीत्व को ही इस गाथा के स्त्रीत्व व नारीत्व से उसके अस्तित्व की आसीमता का पात्र सर्वश्रेष्ठ सर्वोपरि सर्वोच्च सर्वप्रथम परमात्मिका कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका विध्वंसकीय प्रतिद्वंद्वी शून्यनिका हिनका गोखिका आदि लोकोक्तियों को लेखक अर्थात लेखिका का सर्वश्रेष्ठ अंग बांसुरी को घोषित करती है।।
और इसके साथ में अपना संपूर्ण समर्पण संग्रह स्पष्ट करके इस गाथा को को एक दिशा प्रदान करती है।। जिसमें उसमें अपने नारित्व व स्त्रीत्व की आसीमता का परिणाम व निर्माण स्वरूप वर्णन प्रकट करती है इस कलि के कलियुग के कलियौता के अस्तित्व का पता लगाया तो क्या पता चला तथा किस जगह,किस तरह, किसके द्वारा कब और कहां से इसका बोध हुआ तथा इसका उल्लेख दीजिए?
#प्रश्नणवलीश्रोत्मसैलीश्रोत☝️