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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है।।
अब लेखक द्वारा सभी स्तंभों की आसीमता पर असत्यता ए स्वांग में बड़ी आसानी होगी जिसमें जिनसे यह गाथा एक स्वांग अनन्त व असंभव में प्रचलित नाट्य रूपांतरण श्रृंखला में पहले ही प्रदेश व दर्ज कराया हुआ रखा गया है।।

"जिसमें हमें पता चला कि यह एक वास्तविकता पर आधारित होकर ही असंभव व अनन्त प्रेम गाथा अनन्त स्वांग नाट्य रूपांतरण श्रृंखला में दर्जा प्राप्त कराया गया जिसमें जिसने स्वयं लेखक मुख्य न्यायाधीश द्वारा अमर सकंटी के श्राप को निरंतर करने के लिए उन्होंने रचा गया जिसमें यह गाथा पहले ही तंत्र में माया व प्रेम का स्तंभ वह नायिका बैकुंठ में जाकर विलुप्त होकर कालचकृ द्वारा कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका विध्वंसकीय प्रतिद्वंद्वी गोखिका सिधिका स्मारगीय गाऊ लोक में एक सिद्ध स्मारक गाऊ स्मारक के रूपांतरण चित्रांक शैली में से शून्य बनकर यह गाथा को अनन्त से अन्त तथा असंभव में से संभव दर्ज करवाने के वे इस गाथा को दर्ज रूपांतरण श्रृंखला में दर्ज करते हैं।।"
_"स्वांग नाट्य रूपांतरण श्रृंखला _
♥️ स्वागिंनी का मंतव्य ♥️ इसलिए आत्मा ही परमात्मा है।।
#परमात्मिकाहीसवश्रेष्ठवेशयाहै।।