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एक सवाल, सौ जज़्बात ,ऐसे में कैसे बताए हाल?
उनकी नादानी समझूं या फिर बेशर्मी
कि वो मुझसे पूछते है :
मेरी शादी की ख़बर सुन तू कैसा महसूस करती है?

अब पूछ ही लिए हो तो आपकी
नासमझी पर क्या ही कहूं?
खैर! आपके सवाल का कोई जवाब नहीं।
मगर सच है की दिल तो दुखा है।
मन घूटन में है और रूह भी तड़पता है।
लेकिन मुझको हकीकत का तो पहले से पता था,
इसलिए दिमाग़ आपा थोड़ा कम खोता है।
बस तकलीफ है जो बढ़ता जाता है।
और कसक ये की इतनी बड़ी बात आपने
मुझे बताना जरूरी ही नहीं समझा
या फिर शायद आपको अंदाजा था की
मुझपर क्या बीतेगा ?
लेकिन अब मैं खुश भी ना रहूं आपकी खुशी में
और कामना न करूं आपकी खुशहाल
शादी सुदा ज़िंदगी की फिर ये तो
मेरी ही मोहब्बत की तौहीन होगी।
हां! माना आपको मुझसे मोहब्बत नहीं था ।
पर कुछ तो था जो शायद इश्क़ जैसा था।
तभी तो जुदा होकर मेरे साथ आप में भी
कुछ न कुछ खलता है और
ऐसा मुझको महसूस होता है।
और सुनिएगा जरा की
अब जो आपके जिंदगी में आई है।
अपने साथ आपके लिए खुशियां बेहिसाब
व जिंदगी को मुकम्मल करने सारे रंग लाई है।
आप खुश तो है फिर क्यों मुरझाए से लगते है ?
लबों पर मुस्कुराहट तो नज़र आती है
फिर भी चेहरे पर आपके
पहले सी रंगत क्यों नहीं दिखती है?
दुआ है ! अब जो आपकी होने जा रही है
आप सिर्फ़ उसी के होकर रहो।
हालात कैसे भी हो दोनों एक सा हमेशा साथ रहो ।
गलतियां जो पहले हुई थी उन्हें वापिस से मत दोहराना।
कभी भी अपने रिश्ते के दर्मिया गलतफहमी को जगह मत लेने देना ।
मसला कोई हो तो बैठ कर दोनों
शांत दिमाग़ रख ,बात कर सुलझा लेना ।
छोटी मोटी नोक झोंक पर
बातों का बतंगर मत बनने देना ।
अपनी खामोशी से उसे परेशान मत करना ।
जो भी जैसा हो बोलना और
खुद की करने से पहले उसकी मर्जी भाप लेना
नहीं तो पूछ लेना।
पर हक कह कर जबरदस्ती अपनी बात
मनवाने के लिए उल्टी सिल्टी हरकतें
या फिर उसे भावुक मत करना ।
थोड़ी अपनी कहना और उसकी ज्यादा सुनना
व सारी सही बातें मानना ।
अपने कहे और किए वादे से मुकर
उसे हैरत में डाल
हैरान मत करना।
मुझको तो कोई हक नहीं था ।
लेकिन उसको होगा इसलिए
हक से सभी हक उसे जताने देना ।
वो सुख दुःख व जीवन में आनेवाले उतार चढाव, ढलने वाले ढलाव की ढाल होगी ।
आपकी साथी एक हमसफ़र वो पत्नी
आपकी जीवनसंगनी होगी ।
अपने साथ उसका भी ख्याल रखना ।
घबराएं तो हिम्मत बनना ।
शादी के रिश्ते को दिल से निभाना ।
अपना दिमाग मत चलाना ।
शुरूवात में उसे आपके यहां
ढलने में दिक्कत होगा ,उसकी मदद करना।
और घर के कामों में वक्त निकाल, थोड़ा हाथ बटा देना ।
मैं काबिल नहीं थी लेकिन वो होगी ।
उसकी इज़्जत करना, उसे समझना और
जहा जरूरत हो वहा समझाना भी ।
उसे कुछ देना तो सबसे पहले
अपनेपन का एहसास देना ।
यकीं कर वफ़ा व अपना समय देना ।
तकलीफ़ में हो तो फिक्र कर जताना, साथ देना ।
इज़्जत तो उसकी ही है, उसे मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसलिए उसकी इज्जत कभी कम ना हो इसका सबसे ज्यादा ध्यान रखना ।
उसे अपनी ज़िंदगी में खास होने की एहिमियत व स्थान देना।
और कभी न फीका पड़ने वाला प्यार देना ।
हो सके तो कभी न खत्म होने वाला पावन एहसास देना ।
न मिटे कभी ऐसे अपनी चाहत के छाप दिल में उतार देना और खुद में भी बसा लेना ।
रिश्ता जो जुड़ा है, निभा सको उतनी शिद्दत से मान देना ।
और सुनिए मैं लायक नहीं थी
उसे भरपूर सम्मान देना ।
आखिर में सिर्फ़ इतना ही कहूंगी !
जो बीत गया उसे आनेवाले लम्हों में शामिल मत होने देना ।
मेरी बेवफाई को नज़र कर , मुझे नज़रअंदाज़ कर देना ।
कभी गलती से भी मेरी यादें जहन में दर्द,
सांसों को घूटन और आंखों को आंसू ना दे
इसलिए बेहद जरूरी है उसे अपने नाम कर
मुझे गुमनाम कर देना ।
हो सके तो खुद में से मुझे राख कर देना ।
और याद रखना अच्छा बुरा जैसा भी हो
जो हुआ सो गुजर गया है ।
तो उसमे रह खुद को मत खोना ।
खुद को सही रखना और
बनाए रहने की कोशिश करते रहना ।
कभी गलत रास्ते मजबूरियों में भी मत अपनाना ।
सब मेरे बाद आपके जिंदगी में अच्छा ही होगा
इतना यकीन रखना
क्युकी आपके साथ कदम कदम पर आपकी
पत्नी का साथ और थामने को हाथ होगा ।
कुछ गलत हो तो मलाल मत रखना
बस की हुई गलतियों को मत दोहराना ।
इससे ज्यादा मुझको कुछ अब नहीं कहना ।
गर कुछ और भी सवाल मुझसे जुड़ा हो तो
जवाब मत ढूंढना ।
और मुझे कैसा महसूस हुआ या होता आया है
अब कभी मत पूछना ।
मेरा मुंह या हक नहीं बनता आपसे कुछ कहे
ना ही इतनी मेरी हैसियत है की कुछ पूछे ।
फिर भी ये सारी बातें पढ़, समझ, मान व अपना लेना और अपना ख्याल रखना ।

© ehsaas__e__jazbaat