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#शर्त
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।
लो हमेशा की तरह वह शर्त के अनुसार बड़ी हवेली के बगीचे में गया और माली से आंख बचाकर आम के पेड़ पर चढ़ गया।
वह आम तोड़ ही रहा था कि उसकी नज़र सामने से आती हुई अत्याधिक सुन्दर लड़की पर पड़ी।
मस्त मोला चंदन इक टक उसे देखता रहा।
आज चंदन को शर्त हारने का तनिक भी दुःख नहीं था क्योंकि आज वह अपना दिल हार के आया था।
चंदन बस अब यह ही सोच रहा था कि कैसे उस लड़की का पता लगाया जा सकता है।
वह इसी कशमकश में था उससे सुबह का इंतजार नहीं हो रहा था।
उसके दिल व दिमाग में वह सुन्दर लड़की ही बस चुकी थी।
दूसरे दिन सुबह होते ही चंदन बड़ी हवेली के बगीचे की और भागा, घंटों उसका इन्तज़ार किया परन्तु वह नहीं दिखाई दी।
चंदन निराश हो गया और वापिस आ गया।
चंदन को कुछ सूझ नही रहा था वो उसकी सुन्दरता पर मोहित हो गया था, वो किसी भी तरह उस सुन्दर लड़की से मिलना चाहता था।
इक दिन सहसा चंदन ने उस लड़की को उसी बगीचे में देखा लड़की भी चंदन को देखते हुए मुस्कुरा दी।
चंदन ने उस लड़की को अपना परिचय देते हुए उसके विषय में पूछा लड़की ने अपना नाम राधा बताया।
इस तरह चंदन व राधा मे अच्छी दोस्ती हो गई परन्तु चंदन राधा से प्यार करने लगा था इक दिन हिम्मत जुटा कर चंदन ने राधा के समक्ष अपनी भावनाओं का इजहार कर दिया।
राधा ने चंदन के सामने इक शर्त रख दी कि अगर वह किसी कारणवश कभी वदसूरत हो गई तो भी चंदन उसके साथ विवाह के लिए हमेशा तत्पर रहेगा।
चंदन ने सहसा बिना समय गंवाए हां बोल दिया तभी चंदन के सामने इक जर्जर बूढ़ी काया सामने आ चुकी थी।
राधा कोई और नहीं उसी बड़ी हवेली की मालकिन थी जो कई वर्ष पूर्व मर चुकी थी।
चंदन मूर्छा में था और राधा मुस्कुरा रही थी।

© सृष्टि