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मै अपराधी नहीं हूँ !!!! (pt-1)
बाबा हमेशा रात को दारू पीकर घर आते थे. जैसे की वोह उनके दिनचर्या का भाग हो. और इस शौक के कारण उन्होंने घर मे भी अपनी इज्जत गवा दी थी. मै उनकी बातो को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करता, और मे अकेला ऐसा नहीं था. मेरे साथ दो और लोग थे. मेरी छोटी बहन और आई. जो इस काम मे मेरे साथ देते. सुबह मेरे बाबा दुनिया के सबसे अच्छे बाबा थे और रात को सबसे बुरे. बुरे इसलिए क्युकी वोह सताते थे, छेड़ते थे, सब कुछ करते थे जोह एक इंसान दारू के नशे मे करता है. लेकिन मारते नहीं थे. हर रात कडवात से भरी हुई होती थी और हर सुबह मिठास से. मै दो स्त्रियों के साथ रहता था, और उनको सोचते हुए हमेशा सोचता था की इनमें इत्ती सहनशीलता कैसे है? मै आई के जगाह होता तो divorce दे दिया होता, यु सहन करते बैठा नहीं होता. मुझे ये सब चीजें चुबती थी, हर रात हर समय. कभी मन मे आता था की एक ज़ोर से घुमादु, लेकिन बाबा की आवाज सुनते ही मन का ये विचार कापने लगता था. जैसे चातक पक्षी बारिश की राह देखता है उस तरह मै भी उस एक शाम की राह देख रहा था.



© S.R.B.
2nd part will come tomorrow Don't forget to check.