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परवाह
मुन्नी ( रितिका) आज कितनी बड़ी हो गई है कॉलेज जाने लगी है । पार्वती आज भी उसका एक छोटे बच्चे जैसा ख्याल रखती थी।पर मुन्नी को ये बिलकुल अच्छा नहीं लगता था , वह कहती भी थी मां अब बस भी करो अब मैं बड़ी हो गई हूं अपना ख्याल रख सकती हूं , पार्वती कहती बेटा तू कितनी भी बड़ी हो जा हमारे लिए तो बच्ची ही बच्ची ही रहेगी ।

एक दिन पार्वती अपने मां के यहां जाती हैं ( मुन्नी के नानी के यहां ) , एक माह के लिए
मुन्नी को इससे कोई परेशानी नहीं होती है वो कहती है मां आप अच्छे से नानी के साथ टाइम स्पेंड करना और नानी को को कहना तुम्हारी मुन्नी बहुत याद करती हैं।
पार्वती हा ठीक है कह दूंगी पर तू वादा कर अपना अच्छे से ध्यान रखेगी , मुन्नी हा मां मैं रखूंगी अपना ध्यान ।

दूसरी सुबह मुन्नी चिल्लाते हुए मां मेरे बुक्स कहां रखे है , मेरी स्कूटी की चाबी कहां रखी है , कोई रिप्लाई नहीं आने पर मुन्नी को याद आता है , अरे! मां तो नानी के यहां गई है ।
मैं भी ना 🤦 कितनी भुलक्कड़ हूं ।
मुन्नी अपना सारा काम खत्म करके कॉलेज के लिए निकलती है और पहली बार लेट से कॉलेज पहुंचती है ।
इसी तरह वह रोज लेट हो जाती है दूसरा दिन भी निकल जाता है ।मुन्नी को अब ये एक महीना एक साल की तरह लगने लगता है ।
उसे अब महसूस होता है की मां होती तो कितना अच्छा होता कितना परवाह करती थी मां मेरी एक मैं ही थी जो मां को कहती थी मैं अब बड़ी हो गई हूं अपना ख्याल रख सकती हूं । मां जल्दी आ जाओ ना मुझे बहुत याद आ रही है आपकी ।

ऐसे ही एक माह पूरा बीत जाता है , अगली सुबह घर की बेल🔔 बजती है , अभी आई कौन है ..... मुन्नी जैसे ही दरवाजा खोलती है सामने उसकी मां खड़ी होती है , मां ... आप आ गई कहकर सीधे गले से लग जाती है और रो पड़ती है , पार्वती अरे! रितिका बेटा क्या हुआ अब मैं आ गई ना फिर रो क्यू रही है , मुन्नी कुछ नई मां बस ऐसे ही आप अंदर आओ , उस दिन से रितिका ने मां को अब मैं बड़ी हो गई हूं कहना छोड़ दिया है ।

क्योंकि अब वह समझ गई है की उसकी मैं उसकी कितनी परवाह करती है और साथ ही ढेर सारा प्यार करती है ।



-tj dhruw......