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" धोखा "
" धोखा "

कहानी में मासूम बच्ची को किस तरह धोखा दिया गया है अपनो के द्वारा इसको अक्षरों में समेटने की छोटी सी कोशिश की गई है।
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रजनी अपने मायके में एक बेटी को जन्म देती है और इसकी खबर चिट्ठी लिखकर रजनी के पिता नत्थूराम द्वारा अपने दामाद को सूचित किया जाता है।

दिन गुजरे , और देखते-देखते महीने भी गुजरने लगे परंतु परदेश से दामाद ने कोई जवाब नहीं दिया।

रजनी भी रोजाना इंतज़ार में डाकिया के पीछे दौड़ लगाती और पूछती बाबूजी मेरे नाम कोई चिट्ठी लाए क्या..?
डाकिया जवाब में ' नहीं ' कहकर निकल जाता और रजनी मायूस होकर लौट आती।

खुद से जाने कितने सवाल करती कि उससे ऐसी कौन सी गलती हुई जो उसका पति मोहन इस तरह कर रहा है।

मोहन पहले ही नहीं चाहता था कि रजनी माँ बने लेकिन रजनी को लगता था कि वह बच्चे को जन्म दे देगी तो उनके रिश्ते में सुधार आने लगेगा।

जब रजनी ने पहली बार मोहन को बताया कि वह गर्भवती है तब वह उस बच्चे को गर्भ में ही मारने की पुरजोर कोशिशें करता रहा लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली।
बहुत सी दवाईयां रजनी को खिलाता जिससे गर्भपात हो जाए।

ईश्वर ने ऐसा होने नहीं दिया और रजनी अपने मायके आ गई।
जिसके लिए मोहन रजनी से दूरी बनाए हुए बैठा है।

छः महीने गुजर गए मोहन ने रजनी और बच्ची की कोई खबर नहीं ली।
रजनी उदास रहने लगी और उसे अपने भविष्य की कल्पना मात्र से सहम जाया करती थी।

कभी कल्पना भी नहीं की थी लव-मैरिज जिसे परिवार वालों ने पहले तय किया उसके बाद रजनी को उस व्यक्ति विशेष से प्यार हुआ। रजनी के पिता ने पहले ही उस व्यक्ति को अपना दामाद मान लिया था जब रजनी मात्र नौ साल की थी।

कोरे मन में रजनी के मोहन की छाप छोड़ गई और वह उसके सपने देखने...