हमारी मां (१)
१जुलै,१९८२ को हम सफर पर निकले।हम दो भाई-बहन,हमारी मम्मीजी और मोहिनी आंटी।रात नौ बजे की ट्रेन थी।हमें पापाजी बैठाने आए।उन्हें चिंता थी,इतनी दूर हम दोनों बच्चों को लेकर दोनों औरतें कैसे जाएंगी? आंटी ने पापाजी की चिंता को समझा।वे बोलीं 'आप चिंता मत कीजिए,आपके बच्चे मेरे बड़े बेटे के घर में आराम से रहेंगे।''जी' कहकर पापाजी मुस्कुरा दिए।फिर...