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निजबोया धान🌾(भाग १)
Note: यह एक दंतकथा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी एक से दूसरे और तीसरे ऐसे ही चली आ रही है, तो इसमें बहुत सी बातों का तरीका , प्रस्तुति का तरीका और कुछ–कुछ घटनाएं अपने से नई जोड़ ली गई होंगी या बदल गई हुई हो सकती हैं। ये पूरी तरह से काल्पनिक कहानियां है जिसे हर किसी ने अपने बचपन में किसी न किसी से तो सुनी ही होंगी , तो कृपया आप इसमें तर्क ढूंढने का प्रयास न करिएगा।

अब मेरे सामने दिक्कत यह है इसको लिखते वक्त कि मैने तो ये सब कहानियां अपनी दादी से शुद्ध देहाती में सुनी है , पर उस तरीके से लिख तो सकता नही हूं, पर पूर्णतः प्रयास करूंगा कि कम से कम ऐसी रहे कि बीच से छोड़ के जाने का मन न कर जाए 😂

ख़ैर..कुछ भी बक–बक नही करूंगा सीधे कथा पे आता हूं,
हरी डाल पे बैठा हूं चुपड़ी रोटी खाता हूं..(तालियां तो बजा देते यार 😭)


•निजबोया धान•
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एक बार की बात है, एक राजा था और उसकी ७(सात) रानियां थीं। राजा के जीवन में कोई तकलीफ़ नही थी ,परंतु नाना प्रकार के ऐशो–आराम के ज़रिए होने के बावजूद भी राजा चिंतित रहते थे। उन्हें एक ही समस्या रातों–दिन सताती थी, –क्या??
राज सिंहासन का उत्तराधिकारी कौन होगा?।
राजा की सात रानियां थी परंतु एक से भी राजा को कोई पुत्र नही था। संतान का दुख और राज्य की भविष्य की चिंता अंदर ही अंदर उनको खाए जा रही थी।।
अब इस मौके का फायदा उठाते हुए एक डायन, जो कि पास के
भूत–प्रेतों के राज्य ( एक वीरान हवेली) में रहती थी, एक सुंदर स्त्री का वेष धारण कर महल में राजा के साथ विवाह के प्रयोजन से आती है। उसका विवाह राजा से हो जाता है, और उसके उपरांत वो राजा को अपने वश में कर लेती है साथ ही उनसे सातों रानियों की आंखें निकलवाकर उनको राज्य के एक सूखे कुएं में डलवाने का आदेश करवा देती है। संयोग वश उस समय सातों रानियां गर्भवती थीं परंतु राजा इस बात से अवगत न थे।
अब सातों रानियां कुएं के अंदर और वो डायन रानी के वेश में राजा के साथ रहने लगी।
कुछ समय पश्चात पहली रानी को एक संतान हुई,परंतु भूख से व्याकुल होने के कारण सभी रानियों ने उससे अपनी भूख मिटाने का निर्णय लिया।उन सब ने एक–एक कर छह संतानों को अपना ग्रास बना लिया, परंतु अंतिम रानी ने अपनी संतान को किसी को खाने नही दिया यूं की उसने छह रानियों में से किसी की संतान का कोई भाग अपनी भूख मिटाने हेतु नही लिया।
अब धीरे धीरे उसका पुत्र बड़ा हुआ और कुएं के बहार आके अपनी मां के लिए फल–फूल लाने लगा,यह देख बाकी की छह रानियां अपने किए पर पछताने लगीं परंतु छोटी रानी अपने पुत्र द्वारा लाए हुए फलों को सब में बांटती।
एक दिन उस डायन ने एक सैनिक भेज रानियों की खबर ली तो यह सब सुन के चकित रह गई,उसने फिर एक चाल चली।

उसने एक दूत से छोटी रानी के पुत्र के लिए यह कह पठाया कि वो निजबोया धान क्यों नही ले आता फिर जितनी मर्ज़ी अपनी मांओं को खिलाए।
(निजबोया धान की खासियत यह थी कि उसकी उपज एक दिन में हो जाती थी और एक बीज से बहुत बड़ी खेती हो सकती थी।
परंतु वह राज्य से दूर कुछ राक्षसों के निगरानी में था)
दूत से इस बात की जानकारी मिलते ही,और सभी रानियों के रोकने पर भी वह धान लाने के लिए निकल पड़ता है।
काफ़ी दूर चलने के बाद वह एक सिद्ध बाबा की कुटी पर पहुंचना है। पूछने पर बताने के बाद बाबा उससे कहते हैं की बच्चा तुझे अपनी माताओं का सहारा बनना है बेहतर होगा तू न जा,परंतु उसके हठ करने के पे बाबा उसकी सहायता करते हैं।
बाबा उस बालक को एक तोता बना देते हैं और सख्त हिदायत देते है कि धान की धान की बाली लेकर सीधा मेरी कुटी की ओर आना और पीछे मुड़ के नही देखना,वो रक्षक तुम्हारा पीछा करेंगे वा हलमा करेंगे परंतु तुम्हे पीछे नही देखना है।
इसके उपरांत वो तोता बनके जाता है और धान की बाली अपनी चोंच में लेकर लौटने लगता है,जैसे ही वह उड़ा कि पीछे लगे राक्षस दौड़ने , काफी दूर सहन करने के बावजूद अंत में धीरज को वो पीछे देख ही लेता है। जैसे ही उसने पीछे देखा की दैत्यों ने उसे दबोचा, और पंख तोड़ के मार के उसे वहीं फेंक दिया।
जब आने में इतनी देर देखी तो बाबा जी निकल पड़े लड़के को ढूंढने। रस्ते में उन्हें वही पंख दिखाई दिया तो समझ गए कि इसने मेरी बात नहीं मानी।
परंतु वो एक सिद्ध पुरुष थे, उन्होंने उसके पंखों को उठाया और अपने आश्रम लेके आए और अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर लड़के को पुनर जीवित कर दिया।
क्षमा मांगते हुए उसने गुरु जी से एक और अवसर की मांग की,
इस बार मैं तुम्हे जीवन नही दे पाऊंगा कह कर गुरु जी ने उसे एक बार और जाने की अनुमति दी।
परंतु इस बार वह सफलता पूर्वक धान की बाली लेके बाबा की कुटी आ गया,बाबा उसे वापिस मानव शरीर में ले आए और आशीर्वाद दे उसे विदा किया।
इधर निजबोया धान आने की सूचना पाकर डायन भौचक्की रह गई,और सभी माताओं के कलेजे को शांति मिली
अब खाने का इंतजाम तो हो चुका था........

अब आगे का भाग २ में,
अन्यथा बहुत लंबी हो जाएगी
और आप सुनते सुनते सो जाओगे
जैसे अम्मा से सुनते सुनते मैं सो जाता हूं 😁

खैर आज के लिए इत्ता ही,
मिलते है अगले भाग में
तब तक के लिए...
🪷जय हिन्द जय भारत 🪷
शुभरात्रि🙏

–ध्रुव

© Dhruv