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इज्जत- जिल्लत रब के हाथ
आज से 1000 साल पहले की बात है ईरान में एक राजा रहा करता था। उसकी सल्तनत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी। उसके राज में हरे भरे पेड़ और जंगलों के साथ पूरे राज्य में खुशहाली फैली हुई थी। यह राजा होने के साथ-साथ बेहतरीन आलिम और हाफिज भी था। अक्सर इंसान में जब ताकत और अपनी दोनों अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती है तो वह इंसान घमंडी हो जाता है। यही हालत इस सुल्तान की भी थी।
कभी-कभी वह अपनी ताकत और अकल की वजह से बहुत अजीब सी बात कह दिया करता था वह कहता था कि मैं जिसे चाहूं इज्जत हूं मैं जिसे चाहूं जिल्लत दूं।
इस अकलमंद राजा की मद में भरी बात शायद दुनिया के मालिक को अच्छी ना लगे।
1 दिन की बात है जब वह जंगल में शिकार खेलने निकला और एक हिरण का पीछा करते हुए अपने राज्य की सीमा से बाहर निकलकर दूसरे राज्य की सीमा में प्रवेश कर गया। उस राज्य के सिपाहियों के एक बड़े जत्थे ने उसे घेर कर पकड़ लिया और अपने राजा के पास किए गए। उस देश के राजा ने उसे कैद खाने में डलवा दिया।
1 दिन उस दूसरे देश के राजा को अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए एक हाफिज की जरूरत हुई तो उसने हाफिज की तलाश के लिए लोगों को भेजा। मगर उन्हें कोई हाफिज नहीं मिला। उस समय कैद खाने के एक अधिकारी ने आकर बताया महाराज अपने कैद खाने में जिस शख्स को कैद किया गया है वह हाफिज है उसी से बेटी को। पढ़ाए जाने का हुक्म दिया जाए।
राजा ने उस कैदी शासक को बेटी को पढ़ाने के लिए। चुन लिया एक दिन जब वह कैदी शासक इस बच्ची को पढ़ा रहा था तो उसने कुरान में एक आयत पढ़ी जिसमें लिखा था अल्लाह जिसे चाहे जिल्लत दे और जिसे चाहे इज्जत दे। इस आयत को पढ़कर वाकई दी जोर जोर से फूट-फूट कर रोने लगा। उसकी रोने की आवाज सुनकर सुल्तान दौड़ते हुए अपने हल कारों के साथ वहां आ पहुंचे और उससे पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो?
तब उस कैदी ने बताया मैं ईरान का एक बादशाह हूं मैं अपनी ताकत और इल्म के घमंड में यह बात अक्सर कहा करता था कि मैं जिसे चाहूं इज्जत हूं और मैं जिसे चाहूं जिल्लत हूं शायद यह बात अल्लाह को पसंद नहीं आई तो हमें तुम्हारी कैद में डाल दिया।
कैदी की बात सुनकर राजा हैरान और परेशान हो गया और उसने तत्काल हुक्म दिया उस कैदी को छोड़ दो कहीं ऐसा ना हो कि अल्लाह का अज़ाब हम पर भी आ जाए।
इंसान को अपनी ताकत और इल्म से नाजा नहीं होना चाहिए क्योंकि दुनिया का मालिक जिसे चाहे जिस हालत में डालते ये उसकी ताकत का कमाल है?
© abdul qadir