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"दास्तान ए मोहब्बत "
प्रेम, इश्क़ और मोहब्बत ये शब्द सुनते ही लोगों में एक अलग उमंग आ जाती है। परन्तु ये शुरूआत में ही अच्छी लगती है क्योंकि की मोहब्बत के मुसाफिरों ने कहां है की....... जब तक मोहब्बत , मोहब्बत रहे, तब तक ठीक है क्योंकि जब वह जुनून का रुप ले लेती है तो या मोहब्बत आबाद हो जाती है या फिर इंसान तबाह हो जाता है......... आये आप को हम ऐसे ही एक दास्तान से रूबरू कराते हैं। गौरी आज तक एक सादगी भरी जीवन जीती आ रही थीं। उसे अपने पढ़ाई और अपने परिवार के अलावा किसी और से कोई मतलब नहीं था। उसकी कई मित्र और सखियां थी। किन्तु बस वह कुछ क्षण के लिए ख़ास थी। गौरी 9वीं कक्षा में अच्छे नम्बर से उत्तीर्ण होकर 10वीं कक्षा में प्रवेश ले चुकी थी। और वह अपने मैट्रिक के पढ़ाई में पूरी तरह से लीन हो गई थी। परन्तु शायद उसे जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि ये शांति उसके जीवन में एक तूफ़ान लाने वाली है । वह इस बात से पूरी तरह से वंचित थी की उसकी जीवन की सादगी में एक नया पड़ाव आने वाला है। गौरी प्रतिदिन विद्यालय जाती थी, वह बहुत दैनिय अवस्था में ही घर पर रुकती थी या फिर छुट्टी के समय.......... दिन सोमवार का था। गौरी प्रतिदिन की तरह उस दिन भी तैयार होकर विद्यालय जाने के लिए घर से बाहर निकली आज वह अकेले जा रही थी उसकी सखियां उसके साथ नही थी। उसकी मां ने उससे भी कहा की गौरी तेरी सहेलियां आज स्कूल नही जा रही है तू भी मत जा परन्तु गौरी और छुट्टी ये तो मूनकिन ही नहीं था। वह बोली अरे मां जैसे रोज जाती हूं वैसे ही जाऊंगी ना वैसे भी तू तो इतना डर रही है जैसे मैं आज कहीं दूसरी जगह जा रही हूं। इतने में ही उसका विद्यालय जाने का समय हो गया और वह विद्यालय जाने के लिए घर से निकल गई। किन्तु उसे क्या पता था की उसकी जिन्दगी का आज एक नया अध्याय शुरू होने वाला है......... गौरी गाना गाते हुए और उस गाने में मग्न होकर रास्ते पर चली जा रही थी। परन्तु अचानक उसके सामने एक नौजवान युवक खड़ा हो गया गौरी आश्चर्य से उस युवक को को देखी। उस युवक का चेहरा उसके लिए नया नही था क्योंकि वह युवक उसके गांव के दूसरे मोहल्ले का था। गौरी उसे कुछ बोलती उसके पहले ही वह गौरी से ऐसे कुछ अल्फाज़ बोले जिसे सुन कर गौरी सन्न रह गई। उसे समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या बोले उसे ऐसा लग रहा था की उसके पैरो तले ज़मीन नही है हवाएं रुक सी गई हैं , पक्षियों की आवाजें उसके कानो तक नहीं पहुंच पा रही हैं। उसके आखों के सामने एक काली घटा सी छा गई है। और उस अंधेरे मे उसे बस उस युवक का चेहरा दिखाई दे रहा था।जो मानो श्री हरि का ही रुप हो....... कहानी अभी जारी है...