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"गणेश चतुर्थी"
दरभंगा जिले में एक छोटा सा गांव बसा था जिसका नाम था सुल्तानपुर उस गांव में बोहोत लोगो की झोपड़ी थी परंतु सभी झोपड़ी के बीच एक टूटा फूटा सा एक झोपड़ी था उसमे एक गरीब औरत और उसका बेटा रहता थे । उस औरत का नाम शालिनीऔर उसके बेटे का नाम राघव था। शालिनी दूसरों के घर जाकर उनके काम कर देती थी । जैसे की बर्तन धोना ,कपड़े धोना आदि । लेकिन वो जहा काम करती वहा जाने के लिए उसको एक जंगल से गुजर कर जाना पार करना परता था क्युकी वो जहा वो काम करती थी वो उसकी से दूर था। शालिनी को डर तो बोहोत लगता था।क्युकी असल में शालिनी के गांव के लोग ये बात करते की उस जंगल में एक लड़की की आत्मा घूम थी है और उस जंगल से आते जाते लोगो का दिल नोच कर खा के उसके शरीर का सारा खून पी लेती ।अगले दिन वो लाश गांव के किनारे किशनोई नदी के पास मिलती ।तो इन बातो के कारण वो डरी रहती थी। एक दिन उसने गांव वालो से इसका उपाय पूछा तो उन्होंने कहा कि तुम काम छोड़ दो।तो शालिनी कहती की कैसे छोड़ दू उस से ही तो मेरा और मेरे बेटे का खाने का इंतजाम होता है ।तो गांव वाले कहते है की तुम्हारी बात तो सही है तुम एक काम करो की तु गांव में एक विशाल मंदिर जिसमे गणेश भगवान की विशाल मूर्ति स्थापित है।और अभी तो गणेश चतुर्थी चल रही है तो अभी तो बड़े बड़े पंडित आए होंगे उस मंदिर में तुम उनसे जाके उपाय पूछो वो तुम्हे जरूर कुछ न कुछ बताएंगे। शालिनी कहती है ठीक है मैं अभी उनके पास जाति हू।फिर शालिनी बिना देरी किए पंडित जी के पास जाती है और सारी कहानी बताती है पंडित जी सोचते हुए एक तावीज निकालते है और उसपर मंत्र पढ़ते हुए वो तावीज शालिनी को दे देते है और कहते है की इसे कभी अपने गले से मत उतारना,क्योंकि तुम उस जंगल से आती जाती रहती हो इसलिए हो सकता है वह भूत तुम्हें मारने की कोशिश करे इसलिए चाहे कुछ भी हो तुम इसे कभी अपने घर पर भी मत उतारना। इसी प्रकार कई दिन बीत जाते हैं और शालिनी कभी भी उस ताबीज को अपने गले से नहीं उतारती। लेकिन जब भी शालिनी उस जंगल से गुजरती तो वह भूत उसे किसी ना किसी तरीके से परेशान करने की कोशिश करते रहते।वह जानते थे कि वह तब तक उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते जब तक उसके पास वह ताबीज है इसलिए वह उससे उसकी ताबीज को अलग करने का हर संभव प्रयास करते थे। इसी वजह से जब भी शालिनी उस जंगल से होकर गुजरती तो उसे हमेशा अपने आस पास किसी अनजान, बुरी शक्ति के होने का आभास होता। वो बेहद डर जाती,लेकिन उन पुजारी के दिए हुए तावीज के कारण, वो भूत उसका कुछ बिगाड़ नही पाते। वह शालिनी को घायल करने का हर संभव प्रयास कर रहे थे कभी बस पर पत्थर बरसाते तो कभी कुछ करते इसी प्रकार एक दिन वह उस पर पत्थर बरसा रहे थे, इसी छींटाकशी में एक पत्थर उसके ताबीज पर लगा जिस कारण उसका ताबीज टूट कर कहीं दूर गया। ऐसे हालत में शालिनी बुरी तरह डर गई, अब वो बस ये सोच रही थी की अब उसके साथ क्या होगा। क्या शालिनी उन भूतों से बच पाएगी या वो रात उसकी आखरी रात होगी, जाने के लिए अगले भाग का इंतजार करें।


- हिमांशु