"गणेश चतुर्थी"
दरभंगा जिले में एक छोटा सा गांव बसा था जिसका नाम था सुल्तानपुर उस गांव में बोहोत लोगो की झोपड़ी थी परंतु सभी झोपड़ी के बीच एक टूटा फूटा सा एक झोपड़ी था उसमे एक गरीब औरत और उसका बेटा रहता थे । उस औरत का नाम शालिनीऔर उसके बेटे का नाम राघव था। शालिनी दूसरों के घर जाकर उनके काम कर देती थी । जैसे की बर्तन धोना ,कपड़े धोना आदि । लेकिन वो जहा काम करती वहा जाने के लिए उसको एक जंगल से गुजर कर जाना पार करना परता था क्युकी वो जहा वो काम करती थी वो उसकी से दूर था। शालिनी को डर तो बोहोत लगता था।क्युकी असल में शालिनी के गांव के लोग ये बात करते की उस जंगल में एक लड़की की आत्मा घूम थी है और उस जंगल से आते जाते लोगो का दिल नोच कर खा के उसके शरीर का...