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प्रेम ♥️.....
ज़िंदगी मुश्किल जितनी है, उससे भी ज़्यादा चौंकाती भी है, और यही तो मज़ा है ज़िंदगी का कि अक्सर वो ही खो जाता है जो आपके वश में है फ़िर भी आप न चाहते हुए उस पर वश नहीं रख पाते अपना..ज़िंदगी इसी ख़ूबसूरती का तो नाम है.

कितने ही लोग ज़िंदगी भर अपने मन में एक सूरत उकेरते हैं, कि उनके ख़्वाबों का इंसान कैसा होगा या होगी.. हर एक की कुछ सोच होती है कुछ ख़्याल होते हैं और सोच में बनने वाली सूरत भी लोग उसी के हिसाब से बनाते हैं..और उसी एक सोच के अनुरूप वाले इंसान की प्रतीक्षा में रहते हैं.

लेकिन फ़िर भी ज़्यादातर लोग ऐसे इंसानों के साथ मन से बंधकर बह जाते हैं, जो उनकी सोच के सरीखा तो नहीं होता लेकिन फ़िर भी जाने क्यूँ उनके एहसास के साथ जुड़ जाते हैं..कभी सोचकर देखिए और एहसास होगा कि सच में ऐसा ही होता है..बहुत से लोग ऐसे इंसान के साथ प्रेम में पड़ते हैं जो उनकी सोच की तरह हो या न हो उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता..सब कुछ एहसासों का ही खेल है.

जब प्रेम होता है तो दिमाग़ काम भी कहाँ ही करता है, और ये सारा ख़ाका दिमाग़ ने ही तो खींचा होता है, लेकिन जब प्रेम में पड़ने की बात आती है तो दिल अपना काम कर ही जाता है..फ़िर दिल को फ़र्क़ भी नहीं पड़ता कि दिमाग़ को प्रेमी कैसा चाहिए था, या प्रेयसी कैसी चाहिए थी, बल्कि दिल को तो बस एहसास समझ आते हैं और एक कम्फर्ट समझ आता है, बाक़ी दिमाग़ के बनाए चित्र को तो वो कंसीडर करता भी नहीं है.

यही तो होती है ज़िंदगी, और ऐसा ही तो होता है प्रेम. जो आप चाहें या न चाहें आपको वहीं पर जोड़ देता है जहाँ आप सोच भी न सकते हों, और भले ही दिमाग़ की बनाई गई परिभाषा में वो इंसान फ़िट होता हो या न होता हो.

प्रेम की ख़ूबसूरती यही तो है, जो बस हो जाता है, किस से होता है, और कब होता है वो तो मायने रखता भी नहीं है. बस हो सके तो उस इंसान के साथ बने रहिए, कि प्रेम होना और उसके साथ बने रहना बहुत कम को नसीब होता है! ❤️
© A Yadav