पिता की चार सीख।
इस कहानी में आप पढ़ेंगे की जब एक पिता अपने बेटे को अपना जीवन संभालने के लिए चार बातें सिखाता है, तो बेटा उन चार बातों का अर्थ क्या निकलता है? क्योंकि बाते सुनने में आसान थी, किंतु उनके अर्थ निकालना हर किसी के बस की बात नहीं और जब बेटे को कहानी के अंत में चारों बातों के सही अर्थ पता लगते हैं, तो उसे अहसास होता है की जिन बातों को वह अपने जीवन में आजमा रहा था। उनके अर्थ कितने गहरे हैं।
पिता की चार सीख
एक बार की बात है एक गांव में एक साहूकार रहता था। वह अपने व्यापार के क्षेत्र में काफी उन्नति कर चुका था। जिसके बदौलत उसके पास धन-संपत्ति किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी।
लेकिन एक बात उसे खाए जा रही थी की “मेरे मरने के बाद मेरा बेटा अपना जीवन कैसे संभालेगा”? क्योंकि उसका बेटा दिमाग से बिल्कुल नासमझ था। उसे बाहरी दुनिया की बिल्कुल भी समझ नहीं थी।
कुछ दिन बाद साहूकार का स्वस्थ खराब रहने लगा। अब उसे महसूस हो गया था की उसकी मृत्यु किसी भी क्षण हो सकती हैं। तब उसने अपने नासमझ बेटे को...
पिता की चार सीख
एक बार की बात है एक गांव में एक साहूकार रहता था। वह अपने व्यापार के क्षेत्र में काफी उन्नति कर चुका था। जिसके बदौलत उसके पास धन-संपत्ति किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी।
लेकिन एक बात उसे खाए जा रही थी की “मेरे मरने के बाद मेरा बेटा अपना जीवन कैसे संभालेगा”? क्योंकि उसका बेटा दिमाग से बिल्कुल नासमझ था। उसे बाहरी दुनिया की बिल्कुल भी समझ नहीं थी।
कुछ दिन बाद साहूकार का स्वस्थ खराब रहने लगा। अब उसे महसूस हो गया था की उसकी मृत्यु किसी भी क्षण हो सकती हैं। तब उसने अपने नासमझ बेटे को...