गलत फहमी
गलत फहमी
जाने अनजाने हो ही जाती हैं गलत फहमियां सभी को।कभी हमें तो कभी हमारे किसी खास को ,और फिर पड़ जाती हैं रिश्तों में गर्त सी गहरी दरारें।आज की कहानी भी ऐसे ही विषय पर आधारित है।उम्मीद है आप सभी को पसंद आए।
"गलत फहमी "
सीमा ने खुशी खुशी अपने भाई के घर जाने का सोचा और वो अपने बच्चो को साथ ले कर गई।सीमा का भाई वैभव इंदौर में अच्छा व्यापारी है,भाभी उषा घर पर ही बूढ़े सास ससुर की सेवा करती है।
सीमा के आते ही उषा ने उनका स्वागत किया और खुद उनका सामान उठा कर कमरे में ले गई ।फिर उनकी आव भगत में लग गई।तब तक सीमा मांँ पिता के पास बैठ गई।उनकी उम्र80+है इसलिए चीज़ों को भूल जाते हैं।
सीमा के आते ही मांँ ने कहा "मेरा सोने का बाजू नही मिल रहा हैं पूरे 5 तोले का है"।
तब सीमा ने भी ढूँढा उसे भी नहीं मिला,उसने उषा को आवाज़ लगाई और कहा "माँं का बाजू नही मिल रहा है कहां गया "।
उषा ने कहा"यहीं पर कहीं होगा वह तो कभी मांँ की अलमारी नहीं खोलती है"।
ठीक है मिल जायेगा मांँ यहीं कहीं होगा । मांँ से कह कर सीमा ससुराल आ गई।
कुछ समय बाद पिताजी बीमार पड़ गए और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।वैभव ने सीमा को भी खबर की।सीमा आई उसे पिताजी के पास बैठा कर वह दवाई लेने गया।तब पिता ने कहा कि वह भूखे हैं उषा खाना नही देती हैं,जो खिलाती है वो भी बेस्वाद होता हैं।वो भूखे हैं और खाना खाना है।
उनकी बात सुन कर...
जाने अनजाने हो ही जाती हैं गलत फहमियां सभी को।कभी हमें तो कभी हमारे किसी खास को ,और फिर पड़ जाती हैं रिश्तों में गर्त सी गहरी दरारें।आज की कहानी भी ऐसे ही विषय पर आधारित है।उम्मीद है आप सभी को पसंद आए।
"गलत फहमी "
सीमा ने खुशी खुशी अपने भाई के घर जाने का सोचा और वो अपने बच्चो को साथ ले कर गई।सीमा का भाई वैभव इंदौर में अच्छा व्यापारी है,भाभी उषा घर पर ही बूढ़े सास ससुर की सेवा करती है।
सीमा के आते ही उषा ने उनका स्वागत किया और खुद उनका सामान उठा कर कमरे में ले गई ।फिर उनकी आव भगत में लग गई।तब तक सीमा मांँ पिता के पास बैठ गई।उनकी उम्र80+है इसलिए चीज़ों को भूल जाते हैं।
सीमा के आते ही मांँ ने कहा "मेरा सोने का बाजू नही मिल रहा हैं पूरे 5 तोले का है"।
तब सीमा ने भी ढूँढा उसे भी नहीं मिला,उसने उषा को आवाज़ लगाई और कहा "माँं का बाजू नही मिल रहा है कहां गया "।
उषा ने कहा"यहीं पर कहीं होगा वह तो कभी मांँ की अलमारी नहीं खोलती है"।
ठीक है मिल जायेगा मांँ यहीं कहीं होगा । मांँ से कह कर सीमा ससुराल आ गई।
कुछ समय बाद पिताजी बीमार पड़ गए और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।वैभव ने सीमा को भी खबर की।सीमा आई उसे पिताजी के पास बैठा कर वह दवाई लेने गया।तब पिता ने कहा कि वह भूखे हैं उषा खाना नही देती हैं,जो खिलाती है वो भी बेस्वाद होता हैं।वो भूखे हैं और खाना खाना है।
उनकी बात सुन कर...