खुशवंत सिंह जी का संस्मृण
1947 मे खुशवन्त सिंह भारतीय विदेश सेवा मे आ गए। 47 से 51 तक वे ब्रिटेन मे भारत के उच्च आयोग मे रहे। उन्हे सर्विस का अनुभव तो था नही, खासकर इसमे जो राजनीति होती है।
( यह सबको ज्ञात है कि मेनन बाद मे भारत के रक्षा मंत्री बन गए थे, नेहरू जी के मंत्री मण्डल में)
ब्रिटेन मे भारतीय राजदूत मेनन और उनके प्रेस अटैची खुशवंत सिंह के बीच हुई एक घटना इस प्रकार है..
उनके अधीन एक महिला होती थी, नाम था मिस सिंह।
1951 मे उनके सम्बन्ध मेनन से खासे खराब हो चुके थे, कारण कुछ भी रहा हो पर उसकी पराकष्ठा ही हो गई जब मेनन ने कुछ आदेश मिस सिंह के जरिये खुशवंत सिंह को भिजवाए, मौखिक रूप से।
यह अपमान तो वे सहन नही कर पाए और उस महिला की खबर ली। उस महिला ने मेनन से शिकायत की तो उनकी मेज़ पर अपना त्याग पत्र फेंक कर आ गए।
मेनन के लिए बाद अपरत्यशित था यह, काफी समझाया बुझाया कि त्याग पत्र वापिस ले लें "मैं तो आपका मित्र हूँ " कह कर।
"आपका कोई मित्र नही है। " यह का कर खुशवंत सिंह वापिस भारत आ गए आकाश वाणी मे अपने नये काम पर ।
(संदर्भ "Not a nice man to know.. Best of Khushwant singh " 2011 edition page 113 .. 114 )
( यह सबको ज्ञात है कि मेनन बाद मे भारत के रक्षा मंत्री बन गए थे, नेहरू जी के मंत्री मण्डल में)
ब्रिटेन मे भारतीय राजदूत मेनन और उनके प्रेस अटैची खुशवंत सिंह के बीच हुई एक घटना इस प्रकार है..
उनके अधीन एक महिला होती थी, नाम था मिस सिंह।
1951 मे उनके सम्बन्ध मेनन से खासे खराब हो चुके थे, कारण कुछ भी रहा हो पर उसकी पराकष्ठा ही हो गई जब मेनन ने कुछ आदेश मिस सिंह के जरिये खुशवंत सिंह को भिजवाए, मौखिक रूप से।
यह अपमान तो वे सहन नही कर पाए और उस महिला की खबर ली। उस महिला ने मेनन से शिकायत की तो उनकी मेज़ पर अपना त्याग पत्र फेंक कर आ गए।
मेनन के लिए बाद अपरत्यशित था यह, काफी समझाया बुझाया कि त्याग पत्र वापिस ले लें "मैं तो आपका मित्र हूँ " कह कर।
"आपका कोई मित्र नही है। " यह का कर खुशवंत सिंह वापिस भारत आ गए आकाश वाणी मे अपने नये काम पर ।
(संदर्भ "Not a nice man to know.. Best of Khushwant singh " 2011 edition page 113 .. 114 )