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"चुप्पी की आवाज़" (Period )
रचना 15 साल की थी, और अपने जीवन के सबसे कठिन समय से गुजर रही थी। वह एक छोटे से गाँव की रहने वाली थी, जहाँ मासिक धर्म पर बात करना जैसे एक अज्ञेय विषय था। स्कूल में जब भी कोई इस पर चर्चा करता, रचना चुप हो जाती। वह नहीं चाहती थी कि कोई उसे कमजोर समझे। उसे अपने मासिक धर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, और उसकी माँ भी इस विषय पर खुलकर बात नहीं करती थीं।

पहली बार जब रचना को मासिक धर्म हुआ, तो उसे समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है। उसने अपनी माँ से पूछा, लेकिन माँ ने उसे संकोच करते हुए बस इतना कहा, "यह एक सामान्य बात है, किसी से इसे लेकर बात मत करना।" रचना समझ गई कि इस विषय पर बात करना बुरा माना जाता है, और उसने कभी किसी से इस बारे में कुछ नहीं पूछा।

पारिवारिक परंपराएँ और समाज की सोच ने रचना को अंदर से तोड़ दिया था। वह हर महीने उस दर्द और असहजता को चुपचाप सहन करती थी। स्कूल में कभी भी इस विषय पर चर्चा नहीं होती थी, और अगर कभी कोई लड़की इस बारे में बोलती, तो उसे घूर कर देखा जाता। रचना को हमेशा लगता कि मासिक धर्म एक ग़लत या शर्म की बात है, और वह इसे किसी के सामने व्यक्त नहीं करना चाहती थी।

हर महीने जब उसे दर्द होता, वह सहन करती और अपनी चुप्पी को ओढ़े रखती। वह सोचती, "क्या होगा अगर मैंने इस दर्द को व्यक्त किया? क्या...