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मीनू
उन दिनों lockdown चल रहा था

मे अकेला घर मे रहता था,

पढ़ाई..
हाँ सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कर रहा था, पर पढ़ नहीं रहा था... कुछ सब्जेक्ट को छोड़ कर कुछ अच्छा नहीं लगता था

जिंदगी भी नहीं...

मम्मा पापा काफी साल पहले अलग हो गए थे, पापा का बहोत बड़ा बिजनेस था, मुजे खूब पैसे भेजते थे..उससे ज्यादा ना मेरी जिंदगी मे उनकी अहमियत थी, ना उनकी जिंदगी मे मेरी

Lockdown मे घर बैठे बैठे... बस हालत खराब हो रही थी.. ऊपर से पापाने नीचे गार्ड बिठा रक्खे थे ... जो मुजे बाहर नहीं जाने देते थे... और वो लोग मेरी जरूरत का समान मुजे पहुचा देते थे...

पर मेरी जरूरत कभी मुझ तक नहीं पहुंचती थी.. ना मेरी माँ फोन करती थी और ना बाप के पास वक्त होता था

पता नहीं कबसे नशेकी आदत लग गई थी

Lockdown मेरी सारी cockain और दारू ख़तम हो गई थी.. और जो दोस्त पहुंचाते थे वो आ नहीं सकते थे.. और ना मैं जा सकता था...

मेरी नस नस फट रही थी...

कुछ अच्छा नहीं लग रहा था...

एक बार आत्महत्या का प्रयास किया पर हिम्मत ना चली,

फिर ऊपर के गेस्ट रूम की तरफ़ गया खिड़की के पास... थोड़ी फ्रेश हवा लेने... हमारे गेस्ट रूम की खिड़की से एक पहाड़ और कुछ पेड़ दिखते है पर बगल मे सटे हुए मकान से पूरा दृश्य नहीं दिखता...

जब उस दिन जब खिड़की पे गया तब प्रकृति के रूप के साथ साथ एक और रूप भी दिखा...

सामने वाली खिड़की पर मेरी ही उम्र की लड़की थी खिड़की से बाहर अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे, वो बाहर झाँक रही थी... शायद वो भी वही पहाड़ और पेड़ देखने आयी होंगी...

उसकी नजर मुझसे मिली और मेरी नजर उससे... थोड़ी मुस्कानसे बात हुई..

इतनी प्यारी मुस्कान मैंने कभी नहीं देखी थी... गालपे वो खंजन, तीखी सी नाक, होंठ के पास एक छोटा सा तिल, सागर से भी गहराई वाली आंखे और आँखों के पास लहराती हुई घुंघराले बाल की लट, जो उसको परेशान कर रही थी.

मैं उसमे गुम हो गया था... और.. हवा मे हाथ हिला कर वो मुझे बुला रही थी.


मैंने भी "hi" किया

उसका नाम पूछा पर उसने बताया नहीं

मैंने कहा "यहा रोज आती हो? क्या नाम है? मैं यहा कभी नहीं आता... आज अचानक.. ये रूम पे आया.. सोचा देखू.. बाहर क्या है... वैसे मुझे पढ़ाई से फुर्सत नहीं मिलती, मैं... और साथ साथ.. म्यूजिक की प्रैक्टिस करनी है.. मेरे college को मुझसे बहोत उम्मीद है... वो तो मुझे फुटबॉल मैच मे भी प्रैक्टिस करने के लिए बोल रहे है.. पर... इस समय lockdown मे कैसे करु..... "

पता नहीं उसको impress करने के लिए मैंने जो मन मे आए सब झूठ बोलना चालू कर दिया.. पता नहीं कौन सी बात से impress हो जाए...!!!

पर वो कुछ response नहीं दे रही थी

हाँ, मेरी सारी बातें ध्यान से जरूर सुन रही थी और मैं... झूठ सच.. जों मन मे आए बस बोलता रहा..

वो यूँही देखती रहे और मैं उसको देखता रहू ..

अचानक वो कुछ बोली.... "बकबक"
और हसने लगी... फिर से वहीं शब्द बोली "बकबक" और हसने लगी...

उसकी आवाज अजीब थी..
नॉर्मल नहीं थी..
ठीक से बोल नहीं पा रही थी...
शायद.. शायद, उसे कुछ प्रॉब्लम था...

शाम हो गई थी और उसके दूसरे कमरें मे से आवाज आयी "मीनू मैडम, आपका खाने का वक़्त हो गया है"

और मैं अचानक आवाज सुनकर उसको
जल्दी जल्दी "Bye" करके अपने कमरें मे चला आया..

बस यही सोचता रहा..
कौन होगी वो...?
क्यु ठीक से नहीं बोल पाती..?
मैं बस बकबक करता रहा नाम.. या और कुछ पूछा नहीं...!!!

कितना जूठ बोला मैं, इतना झूठ नहीं बोलना चाहिए था..

फिर वो मिलेगी क्या..?
कल मिलेगी क्या..?
मिलेगी तो मैं सब सच सच बता दूँगा....

यही सब बाते सोचते सोचते सो गया

उठा तो फ्रेश हो कर तुरंत गेस्ट रूम की खिड़की पे गया, पर वो नहीं आयी थी..

फिर थोड़ी देर के बाद गया... पर वो नहीं आयी थी..

करीब करीब सुबह के 9 बजे वो खिड़की पे आ चुकी थी..

सफेद कुर्ता, खुले घुंघराले बाल, वही मनमोहक मुस्कान, और वैसे ही हाथ हिलाकर मुजे " Hi " कहा
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