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यादें मन के कोने में
जिंदगी में सब धीरे धीरे छूटता चला जाता हैं,ये महसूस तब ज्यादा होता हैं जब कभी हम अकेले हों या किसी दुखी अवस्था में हों, हमें वो सब याद आता हैं की पहले हम कैसे थे और अब कैसे हैं।

मुझे भी मेरे वो दिन याद करने में अच्छा महसूस होता हैं जब गर्मी की छुट्टी में गांव में जाते थे, स्कूल बंद तो एक ऐसी खुशी होती थीं की अब दादी और नानी के घर जायेंगे।

जाने की तैयारी जोर शोर से होती थी,गांव
पहुंचते ही दादी के हो जाते थे, मां से कोई मतलब नहीं फिर मजे शुरू और बहुत कुछ सीखने को मिलता था ।

आमों के बगीचे में जाना आम तोड़ने,खेत खलियानों में जाना, महुआ बिनना, आचार बनाना, सिरका बनाना, सुबह गईया को चारा डालना, कोयर बलाना , ट्यूब वैल में नहाना, दादी के साथ भार जाना दाना भुजाने, और वहा गांव की काकी चाची लोगों से गप्पे मारना।

ऐसी यादें मन के कोने में उठती रहती हैं । आंख में आसू, ऐसा लगाता हैं कोई सपना था जो टूट गया।
लगाता नहीं की ऐसे दिन थे कभी.......


© Ankita