...

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Choti si umar...!?💕
"छोटी सी उमर परणाई ये बाबो सा
काईं थारो करयो मैं कसूर
हो...

खिलोनों में रिश्तों को अस्तित्व देते देते
असली रिश्तों में क्यों बंध दिया
मानती हू पराई हू
पर उसकी इतनी बड़ी सज़ा

"इतरा दिना तो म्हाने लाड लडाया
अब क्यों करो सा म्हाने दूर
हो...

मेरी हर जिद्द मनाने वाले आप
मेरे हर आंसु अपने भीतर समा लेने वाले आप
जो उंगली थाम कर चलना सिखाया
अब वो उंगली अपने हाथों से क्यों छूड़ा रहे हो ??

"थां घर जन्मी थां घर खेली
अब घर भेजो दूजे..

जब मां के आंचल से मुख छिपा
जब आपके प्यार से मेरा दिल भरा
वो आंगन में जहां मेरी सहेलियों
कि खिलखिलाहटें गूंजती है
अब आप वो आंगन का दरवाजा क्यों बंद कर रहे है ??

"मुंडे सू काईं बोला
म्हारा आन्सुडा बोले
हिवड़ो भरयो है भरपूर...

कैसे बोलूं आपको मत
करो अपने आप से दूर
कैसे बोलूं आपको मत करो
मेरी मासूमियत का सौदा
बोलने कि इजाज़त नहीं है
तो अपने आंसुओं को अपनी व्यथा सुना रही हु


"छोटी सी उमर परणाई ये बाबो सा
काईं थारो करयो मैं कसूर
हो...

© HeerWrites