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एक सपना वो भी अधुरा
मै अपने घर् से बहार आई ही थी की आचानक मुझे अवाज आती है रेनू रेनू
मे वो अवाज सुनती हुं तो वो अवाज मुझे जानी पहचानी सी लगती है वो अवाज मेरी वहन की थी जिसकी एक् साल पहले मौत हौ गाई थी मुझे ऐसा लगा की मेरी वहन अभी जिन्दा है हां हौ सकता है क्योकी मेरी वहन की हमै लाश भी नही मीली थी अच्छा चलो छोडौ इन् बात को मे लेकर चलती हूँ अपने घर् की और् मेरे घर् में सिर्फ् दो ही मेम्बर ही है मे और् मेरी बुढि मां मेरी माँ जो कैन्सर से पीडित है उसका ख्याल भी तो मुझे रखना है क्या करुँ मै ठहरी एक लड़की लड़की क्या कर सकती है ये सब आप लोग जानते ही होंगे अगर कोई लड़की घर से बहार निकालने कि कोशिश करती हे तो सामाज के लोग ताने मारने लग जाते हे देख भाई राम लाल कि लड़की को कैसे बन कर चल रही है शर्म ना हे बाप को मार कर खा गई डायन कहीं कि भाई बच कर रहियो ये हमें ना खा जाए बहन भी खा ली अब रही राम लाल कि लुगाई उसे भी खा जाएगी ऐसे ताने जब किसी लड़की को मिले तो क्या करें वो लड़की ये मे आप से पूछती हूँ बताओ क्या करें लड़की कहते हे ना जो ब्यक्ति गरीब होता हे ना उसे समाज जीने नहीं देता उसे और उस् के घर वालों को तो लोग तानो से ही मार् देते है और वो बैचारा अपनी जिन्दगी दाब पर लगाकर मौत के घाट उत्तर जाता हे ऐसी ही मेरी जिन्दगी थी पर मैं भी कुछ करना चाहती थी पर समाज के तानो से परेशान मैं कुछ कर ना पाई चलो एक दिन की बात बताती हूँ मैं उस बक्त समाज का ना डर समझते हूँ घर् से निकल गई बस् मैं आधे रास्ते ही पहुची थी कि मुझे माँ की याद आ गई मे सोचने लगी अगर मैं शहर आ गयी तो वहां माँ का कौन ख्याल रखेगा इस सोच को सोचते हुए मैं वापस आगई जब मैं घर आगई तो मैंने माँ को देखा तो माँ खास रही थी मुझे देखा ना गया और मैं माँ के पास आकर गले लगकर रोने लग गई माँ को ये सब अजीब सा लग रहा था की माँ ने मुझसे पूछ ही लिया अरे रेनू तू रो क्यों रही हे मैं रोते हुए बोली माँ मैं तुम्हारे बजह से रो रहे थी माँ हस्ते हुए बोली अरे पागल मे कहा मरे जा रही। हूँ चल चुप हो जा पर मैं कहां शान्त होने वाली थी मे माँ के बोले गए शब्दोंं से और जोर से रोने लगी किसी तरह से माँ ने मुझे शान्त करवाया और मैं सुबकते हुए काम करने लाग गई एक दिन माँ की भी मौत हो गई और रह गई मे अकेली अब तो समाज के ताने मुझे भर भर के मिलेंगे वो तो पहले भी कहते थे बाप और वहन को खा गई डायन अब माँ को भी गिनने लग जाएंगे मैं अकेली क्या करुँ तो मैं अपने चाचा के घर आ गई पर चाचा को दारू पीने का शोक था मैंने सोचा चल घर से वीरान होने से सही हे मे अपने चाचा के घर चली जाऊ और हा मेरी चाची भी बहुत हराम थी मे चाचा के घर रहने लग गाई तो चाचा के घर मे मेरे वजह से लड़ाई होने लगने लगी तो कभी चाचा चाची को मार देते थे कभी चाची चाचा को सुनाने के लिए अपने बच्चे यानि मेरे छोटे भाई को मारने लग जाती थी ये सब मुझ पर देखा ना जा रहा था कि एक् दिन चाचा ने चाची को गाली देनी शुरू कर दी तो चाची को गुस्सा आ गया और वो मुझे कहने लग गई की जब से तू आई हे ये सभी लड़ाई तेरे वजह से हो रही हे मैं ये सब सुन कर रोने लग गई चाची ने मुझे गन्दे गन्दे शब्द कहने लग गई मैं एक बात और बता दूँ मुझे चाचा और चाची ने तब तक रखा घर जब तक मेरी माँ की तेरहवी नहीं हो गई जब माँ की तेरहवी हो गई तो मुझे डायन रन्डी बच्चा उठाने वाली बता कर घर से बहार कर दिया और मेरा घर भी कब्ज़ा लिया मे किस से कहती मेरा तो कोई भी नहीं था इस संसार मे किस से कहती सामाज से सामाज तो मुझे पहले ही ताने मरता था और हा माँ के मर जाने के बाद् जो भी थे वो चाचा और चाची थे अब वो भी नहीं रहे अब मे बिलकुल अनाथ हो गई थी मे अपने ही गाँव मे भिखारी हो गई जिसको मुझपर दया आ जाती वो मुझे खाना खिला देती कभी कभाक् मे कुत्तो के गिरने वाला खाना भी खा लेती थी एक दिन ऐसा हुआ कि किसी का बच्चा खो गया तो पूरे गाँव मे ये बात हो गई की रामलाल की बेटी खा गई तो पूरा गाँव मुझे मारने के लिए आ गया जिसका बच्चा खोया था वो बहुत अमीर था पर उसे अकल नाम कि कोई चीज़ भी नहीं थी वो जाकर पुलिस को जाकर कह की मेरा बच्चा खो गया मुझे गाँव ने बहुत मारा और गाँव ने भगा दिया मे रोते हुए शहर की और् चलने लगी मेरे कपड़े भी फट गए थे गाँव की पिटाई से मे ये सब सोच रही थी की अगर मेरा परिवार होता तो मेरा ये हाल नहीं होता मे उन्हें याद करके रोने लगी मे रोते रोते शहर पहुच गई मे शहर तो आ गई पर क्या करुँ यहाँ तो मे हर घर जाकर काम मागने लगी उम्र छोटी होने के कारण मूझे वहा कोई काम नहीं दे रहा था तो मे निराश हो कर एक पेड़ के नीचे बैठ कर रोने लगी तभी वहा एक शासक आ कर रुका उसकी उम्र भी ज्यादा नहीं थी वो मेरे से चार साल बड़ा होगा मैंने रोते हुए उस की तरफ देखा तो उसने मुझसे पूछा अरे वहन तू क्यों रो रही हे तो मैंने रोते हुए अपनी सारी कहानी उसे बता दी तो वो कहानी सुनते हुए रोने लगा और कहने लगा अरे बहन तुझे इतने कस्ट उठाने पड़े चल आ तू अब मेरे साथ चल मे हूँ अब से तेरा भाई वो मेरे लिए एक भगवान् जैसा था कहते हे ना जो भूखे को खाना खिला दे तो वो उसके लिए भगवान् हो जाता हे वैसे ही वो मेरे लिए भगवान् हो गया और मुझे क्या चहिए था एक घर और रोटी बस और क्या मे ये सब सोच कर उसके पीछे चलने लगी वो एक बहुत ही बड़े घर के सामने जाकर रुका वो घर मे चला गया पर मे डर के मारे नहीं गई तो मैं वही बैठ गई और उसका इंतजार करने लग गई लगभग एक या दो मिनट ही होई होंगी उस घर से दो शाशक भागे हुए आते हे वो भी मेरे पास और मेरे पास आकर वो मुझे मैडम कहते हे की मैडम आप को अन्दर साहव बुला रहे हे पर एक शाशक मेरी तरफ देख कर वो ये सोच रहा होगा कि ये भिकारी कहा से आ गई जो साहब की बहन हे पर मैं उनके साथ उस घर मे अन्दर चली गई अरे वाओ कितना प्यारा था वो घर कितनी प्यारी थी वहा की रखी मूर्ति मैं तो बस उन्हें ही देख रही थी हा जो मेरा सपना था वो साकार होने लगा था मैं ये सोच रही थी की कितने दिन् रहूंगी मैं इस आलिशान घर मैं बस ये सोच कर मैं डर गई और मेरी चीख निकल गई ये आवाज निकलने से जो मेरा मुबोला भाई था वो भाग कर मेरे पास आ गया और बोला क्या हुआ बहन मैंने कहां कुछ नहीं हुआ बस कुछ सोच कर मे डर गई ये सब बात सुन वो हसने लगा और मे भी उसे देख कर हसने लगी मेरा सपना सच तो हो गया था पर वो भी अधूरा वो कैसे ये सब तुम सोच रहे होंगे कि ये क्या हुआ हा मे बताती हूँ मेरा सपना अधूरा कैसे रहा मेरा सपना था अपने परिवार के साथ शहर मे एक बड़े से घर मैं रहना

© Ankur tyagi