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बचपन का भूत
बात उस समय की है जब मैं कक्षा छः मे पढ़ती थी। हम एक गाँव मे रहते थे। मेरे साथ एक लड़का पढ़ता था जिसका नाम अनिल था। वो किसी दूसरे गाँव से हमारे यहाँ पढ़ने आया था। वो अपनी बहन के पास रहता था। वो हम सब बच्चों को अपने गाँव की बाते सुनाता रहता था। उसके गाँव के लोग भूत प्रेत ज्यादा मानते थे । जबकि हमारे यहां भूत प्रेत की बातों पर विश्वास नही किया जाता था।
हम सब सहपाठी उसकी बाते बडे ध्यान से रुचि लेकर सुनते थे। एक बार उसने बताया कि भूत कही भी जा सकता है व किसी का भी रूप ले सकते है। उसी ने बताया कि रात मे भूत किसी...