ये स्कूल के दिनों की बात है
ये बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में पढ़ती थी मेरी दो बहुत अच्छी सहेली थी रीनू और सोनी क्या बताऊं दोनो के बारे मे एक अंग्रेजी माध्यम से थी और एक हिन्दी माध्यम से और मैं दोनों माध्यम से पढ़ी थी जब तीनो ने कक्षा 6 मे दाखिला लिया और एक बैंच पर जब हमें बैठाया गया तीनों के दिमाग के अंदर यह चल रहा था मैं और इनसे दोस्ती और उन दोनों के दिमाग में भी यहीं खिचड़ी पक रही थी ।
पर वो कहते है ना वक्त के साथ जो दोस्ती धीरे धीरे हो वह लंबी जाती है फिर धीरे धीरे बाते हुई लड़ाई झगडे हुए पर हम सच्चे साथी बन गए वो कहते है ना जिनमे लड़ाई ज्यादा उनमे प्यार गहरा होता है
साथ में लंच करना खेलना बाते एक दूसरे से जाहिर...
पर वो कहते है ना वक्त के साथ जो दोस्ती धीरे धीरे हो वह लंबी जाती है फिर धीरे धीरे बाते हुई लड़ाई झगडे हुए पर हम सच्चे साथी बन गए वो कहते है ना जिनमे लड़ाई ज्यादा उनमे प्यार गहरा होता है
साथ में लंच करना खेलना बाते एक दूसरे से जाहिर...