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ये स्कूल के दिनों की बात है
ये बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में पढ़ती थी मेरी दो बहुत अच्छी सहेली थी रीनू और सोनी क्या बताऊं दोनो के बारे मे एक अंग्रेजी माध्यम से थी और एक हिन्दी माध्यम से और मैं दोनों माध्यम से पढ़ी थी जब तीनो ने कक्षा 6 मे दाखिला लिया और एक बैंच पर जब हमें बैठाया गया तीनों के दिमाग के अंदर यह चल रहा था मैं और इनसे दोस्ती और उन दोनों के दिमाग में भी यहीं खिचड़ी पक रही थी ।
पर वो कहते है ना वक्त के साथ जो दोस्ती धीरे धीरे हो वह लंबी जाती है फिर धीरे धीरे बाते हुई लड़ाई झगडे हुए पर हम सच्चे साथी बन गए वो कहते है ना जिनमे लड़ाई ज्यादा उनमे प्यार गहरा होता है
साथ में लंच करना खेलना बाते एक दूसरे से जाहिर करना अक्सर होता गया ।
जब हम कक्षा ७ में गयें तो गणित का test था कुछ सवाल में वो दोनों अटक गयी मुझे देखने लगी मैने कहा पढ़ाई में नकल नही दोस्ती मे ऐसा नहीं होगा पर होना क्या था इतने मे अध्यापक आये उन्हे लगा मैं नकल करा रहीं मेरी कॉपी मे लिख दिया बडा बड़ा - नकल कराते पकडे गये और दो बडे बडे अंडे दे दिये ।
घर में कुछ नहीं बताया पर मेरा छोटा भाई था विवेक जो अब ईश्वर के पास है उसने मेरा चेहरा पढ़ लिया सारी घर की अलमारी खंगाल डाली और मम्मी से कहने लगा वही अध्यापक वाला नोट पढ़कर गंगा दीदी नकल कराते पकड़ी गई घर में बहुत डाँट लगी तो सारी बात बता दी ।
फिर आये कक्षा 8 में रीनू बहुत ही दोस्ती में भावुक थी और में स्कूल पढ़ाई यहीं सब गृह विज्ञान की बेला में वह बात करने लगी और मैंम ने देख लिया और उसको सजा दे दी वह रोने लगी मुझसे देखे ना गये आँसू मैने कहा मैम इनको बैठा दीजिए ये रो रही है उस समय बालमन था पर मैम आई और लगा दिये उसको कसके झापड़ फिर बेला समाप्त हुई सबने कहा कि गंगा की वजह से पिटाई हुई पर अगले दिन वह आई उसने कहा जब वह बोल रहीं पढ़ते समय बात ना करो तो क्यों कि और उसकी मम्मी ने भी बोला गलती रीनू की है फिर यूँ ही कारवाँ चलता रहा । अब आये कक्षा 10 में Teenage में वो ओर भावुक बनी मैं गंभीर और सोनी ख्याल ज्यादा रखने वाली समझदार मैं कहती थी पढ़ाई में ध्यान दो पर उसने नही मानी और फेल हों गई सोनी द्वितीय श्रेणी और मैं प्रथम श्रेणी में रही एक दिन जब मैं स्कूल मैं थी रीनू घर आई मेरे परिवार से मिली और एक पत्र छोड गई उस समय कहाँ स्मार्ट फोन थे
जब मैं विद्यालय से घर आई तो मम्मी ने दिया वो पत्र उसमें लिखा था तुम सहीं थी गंगा मैने ही नहीं सुनी दोस्ती में ध्यान दो पर पढ़ाई में पीछे मत रहों यह भी लिखा उसने कि उस स्कूल में नहीं पढ़ेगी सारी यादें याद आयेगी पत्र आँसू थे में भी पढ़कर रोने लगी फिर कभी मुलाकात नहीं हुई ना आज तक मिले ना सोशल मीडिया मे १५ साल बीत गए है पर आज भी याद है वो लम्हें क्या कहूँ कलम रोक रही हूँ आगे फिर लिखूँगी अभी रसोई के काम भी करने है धन्यवाद

© 🦋⃟𝕾hivـــ٨ﮩﮩ❤️ﮩﮩ٨ــ🦋⃟⃟𝕾hakti
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