...

1 views

गलती किसकी?
दरवाजे पर काल बैल बजी।‌सुभद्रा ने समय देखा। शाम के छः बज चुके थे। शायद काम करने वाली मेड आई होगी।सोचते हुए उसने दरवाज़ा खोला।
सामने अपनी बहू काव्या को देखकर वह हैरान हो गई।
बैठो काव्या,और हां, अब क्या करने आई हो? मेरे बेटे संजीव को तो तुम ने पहले से मुझ से जुदा कर ही दिया। सुभद्रा लगातार कहती चली गयी।
मम्मी जी,मैं आज भी आपका अपनी मां की तरह से सम्मान करती हूं। यहां से अलग रहने में निर्णय आपके बेटे का ही था।
किंतु मैं ठहरी बहू,आप मेरे ऊपर ही सब आरोप लगायेंगी।
सुभद्रा: अपने बेटे संजीव को उसके विवाह से पूर्व मैंने 28 वर्ष तक बहुत अच्छी तरह जाना है।शादी के बाद के छः साल में वह इतना कैसे बदल जायेगा,इस बात का उत्तर मैं आज तक नहीं ढूंढ पाई हूं।आज तुमने उसे मुझसे अलग कर दिया। तुम को यहां से गये दस दिन हो गए हैं।यह दस दिन ऐसे बीते हैं मानो दस साल बीते हो।
दिन भर पोते प्रिंस के साथ चहल कदमी और उसकी बच्चों जैसी हरकतों से मुझे शाम कब हो जाती थी, पता ही नहीं चलता था। संजीव के आने पर साढ़े छः बजे सबके लिए चाय नाश्ता बनाना और साथ बैठकर नाश्ता और आपस में सब बातें साझा करना मुझे आज भी याद आता है।
एक साल पहले तुमने ही अलग रसोई की शुरुआत की जिसके बाद वह मुझसे दूर होता चला गया।एक मां को अपने बेटे और पोते से अलग करके तुम्हें क्या मिला? तुम भी तो एक मां हो। फिर तुमने ऐसा क्यों किया।कहते कहते सुभद्रा भावुक हो गईं।
काव्या,:-मम्मी जी,आप नाहक मुझ पर आपके बेटे और पोते को परिवार से अलग करने का इल्ज़ाम लगा रही हैं। आपने रसोई अलग अलग करने कि बात कही है।प्रिंस को समुचित तरीके से तीन दिन तक खाना नहीं मिला जिसके कारण प्रिंस के पापा ने अलग रसोई बनाने का फैसला लिया।
सुभद्रा: आज मुझ पर इतना गिरा हुआ आरोप लगाते हुए तुम्हें शर्म नहीं आ रही है। प्रिंस मुझे मेरी जान से भी ज्यादा प्यारा है और तुम वो दिन भूल गयीं जब यह पांच माह का था और डबल निमोनिया के कारण इसे बच्चों के आई.सी. यू.में एडमिट किया था।लगातार पांच दिन तक मैं घर पर नहीं आई थी।पर तुम्हारे आगे मुझे अपने योगदान को बताने की कोई ......
अरे अरे,मम्मी जी,क्या हुआ आपको? कहते हुए काव्या सुभद्रा को पकड़ने लगी।पर तब तक ‌वे जमीन पर गिर चुकी थीं और अचेत हो गईं थीं।
घर में और कोई भी न था। काव्या ने संजीव को फोन पर सारी खबर दी।
संजीव ने कहा,:-
जल्दी एम्बुलेंस बुला लो और सुनीता दीदी को भी फोन कर के हौस्पिटल बुला लो। मैं भी जल्दी ही पहुंच रहा हूं। अगले पन्द्रह मिनट में वो हौस्पिटल में थे। मां को सदमा लगने के कारण ह्रदय आघात पहुंचा था। उन्हें आई. सी.यू.में विशेषज्ञ डाक्टर कपूर की निगरानी में उपचार दिया जा रहा था।
संजीव और उनकी बहन सुनीता भी पहुंच चुके थे। उन्होंने डाक्टर कपूर से मां के स्वास्थ्य के बारे में पूछा।
डाक्टर ने बताया कि उन्हें सदमा लगा है जिसका असर मस्तिष्क पर पड़ा है।
अभी इनकी ह्रदय की धड़कन बहुत कम है।
पहले हम इनकी ह्रदय गति को सामान्य करने की स्थिति में लायेंगे उसके पश्चात दिमाग का भी सी.टी.स्कैन करना होगा।कल सांय तक हालत बहुत ही नाज़ुक है। इतना कह डाक्टर शांत हो गये।
सुनकर सुनीता की आंखों में आंसू आ गये।वे भरे हुए नेत्रों से संजीव की ओर देखने लगीं मानो पूछ रही हों कि इस सब के लिए कौन जिम्मेदार है,???

‌। क्रमश,:
© mere ehsaas