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यही ममत्व है ,यही समत्व है
...सुबह सुबह किचन में बर्तन खनकने की आवाज सुन मेरी नींद उड़ गई ,समय देखा साढ़े पाँच बज रहे थे इस समय वहाँ
कौन होगा ,
मैंने ने बेडरूम से ही झाँककर देखा पत्नी भोजन की तैयारी में व्यस्त थी, बीच बीच में अन्य छोटे मोटे काम भी कर रही थी !

मुझे याद आया कि कल साड़ी चयन के लिए मेरी राय इसीलिए ली गई थी शायद !बड़ी मुश्किल से दो साड़ियों की खरीदी पर सहमति हुई थी !
(मैं जानता था कि आखिरकार इसे जो लेना है वही लेना है
पर मेरी सहमति हर बार लेती ही है यह अच्छी आदत है
कितना खयाल कितना मान ,आज कौन सी सब्ज़ी बनाना हैं
सबकी पसन्द जानने के बाद ही भोजन बनाने का क्रम प्रारंभ करना भी उसके सुभाव का हिस्सा है ।)

मैं चुपचाप जाकर बिस्तर पर लेट गया नींद तो क्या आना थी यूँ ही ऑंखे खुली विचार में खोया जाग रहा था ,
थोड़ी देर बाद आवाज़ सुन चौंका ,उठिए , मुँह हाथ धो लीजिए मैं चाय तैयार कर रही हूँ ऐसा नहीं हो कि मुझे दुबारा आपको बताना पड़े !

अब तो उठना ही था मैं उठकर कम्प्लीट हो फिर बैठ गया ,
थोड़ी देर बाद वह चाय लाई ,चाय पीकर मैं भी किचन में चला गया !!

मैंने कहाँ - आज सुबह सुबह कहाँ निकल रही है आपकी सवारी ! वह बोली ,बड़े भोले हो जैसे भूल ही गए हो ,
याद नहीं ताऊ ताई के लड़के अनु भैया की लड़की की शादी में जाना है ,
जाना है तो जाओ न ,ये भोजन क्यूँ बनाया जा रहा है क्या अपना अपना टिफिन भी लिए जाना है खाने की व्यवस्था नहीं है क्या ?
अरे ! आपके लिए आशु,अभि के लिए बनाया हेै ये ,

तो क्या ये दोनों नहीं जा रहे हैं साथ तुम्हारे ?
नहीं , मुझे शाम को ही वापस आना है मैं वहाँ रात नहीं रूकने वाली !
आखिर क्यो ? अरे ,आप भी गज़ब करते हैं ,
दो दिन तक रास्ता बन्द रहेगा ,
भारत जोड़ो यात्रा जो आ रही है , मैं वहाँ गई और ट्रैफिक जाम में फँस गई तो ,
तो तुम कहीं और तो नहीं अपने ताऊ ताई के घर ही तो जा रही हो वही रूक जाना यहाँ मैं सम्भाल लूँगा ,
मैं हूँ ना ! कहकर उसकी ओर देखा !

ये आप नहीं समझेंगे , धरातल पर उतर कर ,बच्चों की भावना , मन के अनुकूल समझकर चलना होता है ,परिवार भाव को प्रधानता देना होती है सब करना पड़ता है, निभाना पड़ता है यहाँ हमको ,
यही ममत्व है ,यही समत्व है समझे आप यह फिलॉसफी उसने हँसकर कहा ,
अरे ! गुड़िया के स्कूल में गैदरिंग चल रही है वह आज की इवेंट में भाग लेने जा रही है उसका उत्साह कैसे तोड़ सकते हैं हम , वह कह रही थी मम्मी आप रुक जाइये ,पापा को भेज दीजिए न ,मैं इस अवसर को छोड़ना नहीं चाहती ,साल भर में एक बार तो होती हैं ये प्रतियोगिताएं , काश ! आप यहीं रुकती !
मैंने उसे समझाया कि मेरे पीहर का ,तुम्हारे ननिहाल का फंक्शन हैं मुझे जाना होगा ,फिर आप यहीं रहेंगे ,आशु भैया यहीं रहेगा कहा तो वह मान गई हैं ,

मैं सोचती हूँ कि आप भी समझ गए होंगे अब मान भी जाइये
मैं शाम को आ जाऊँगी , बच्चों का ,ख़ुद का खयाल रखना ,
इसे समय से स्कूल छोड़ना,लेकर आना ,भूलना नहीं और हाँ खाना भी टाईम से खाना और खिलाना !
मैं चलती हूँ मुझे और भी तैयारी करनी है यह कहकर वह अपने शेष कामों को पूरा करने में जुट गई ।

(मैं सोचता रहा कितने दायित्व हँसते हँसते निभा लेती हैं उफ! भी नहीं करती और मैं ...
वाकई ! प्रबंध कौशल ,व्यवहार निभाना ,भावनाओं का यथोचित मान और सम्मान कोई ( इनसे ) नारी से सीखे ,
हाँ नारी से ,इसीलिए कहा गया है जिसका कोई अरि (शत्रु ) न हो वही नारी है ...)

-MaheshKumar Sharma
3/12/2022

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