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"वो तस्वीर"
अनिता आज अपनी स्नातक की पढ़ाई उत्तीण कर चुकी थी और छुट्टियों में अपने ननिहाल जाने की तैयारी कर रही थी। वो हर साल गर्मी की छुट्टियों में कुछ दिन बिताने अपनी नानी के यहां शिमला जाया करती थी एक तो उसे नानी के घर रहकर बेहद सुकून महसूस होता था क्योंकि यहां लखनऊ की तरह आपा धापी नहीं था दूसरे उसे कुछ दिन लखनऊ के उमस भरे माहौल से छुटकारा मिलता था।
हर बार वो नानी के यहां केवल कुछ दिन के लिए ही जाती थी इस बार उसने १५ दिन रहने का मन बनाया था।
रात की फ्लाईट थी वो जल्दी से सामान पैक करके एयरपोर्ट पहुंच गई।
दूसरे दिन वो नानी के घर पहुंच गई। नानी उसे देखकर बहुत खुश हुई। नानी ने उसकी पसंद के सब व्यंजन बनाए थे।घर आकर उसे एक सरप्राइज मिला देखा तो उसकी मां और छोटी बहन भी यहां आ गए थे। सबने मिलकर खूब बातें की फिर अनिता नहाकर आई तो नानी ने उसे ठंडी लस्सी दी जो उसे बहुत पसंद आई।
खाना खाकर सब सोने चले गए।शाम को अनिता उठ कर सीधे किचन चली गई और सबके लिए कौफी बना लाई।कौफी पीते हुए अनिता ने नानी से कहा कि वो अपनी एल्बम उन्हें दिखाएं तो नानी एल्बम ले आई सब मिलकर एल्बम देखने लगें। तभी अनिता की नजर एक कपल जोड़ें पर ग्ई जो एक दूसरे के साथ बेहद प्रेम से हाथों में हाथ डाले बैठे थे। अनिता ने उस तस्वीर की ओर इंगित कर नानी से पूछा कि ये दोनों कौन है तो नानी मुस्कुराते हुए बोली ये मेरे सबसे बड़े जेठ और जेठानी है, मेरी शादी से पहले ही इन दोनों का देहांत हो गया था, मैंने भी इन्हें नहीं देखा था सुना है दोनों में बहुत मोहब्बत थी दोनों एक दूसरे के बगैर एकदम नहीं रह सकते थे लेकिन फिर मेरे जेठ जी को टीवी हो गया लेकिन मेरी जेठानी ने तब भी उन्हें अकेला नहीं छोड़ा और उनके साथ ही सोती रही और फिर उन्हें भी टीवी हो गया।दिन पर दिन उनकी हालत बद से बद्तर होती गई और एक दिन वो दोनों काल के ग्रास बन गये।
पूरी कहानी सुनकर अनिता को बेहद दुख हुआ। वो सोचने लगी कि ज्यादातर उस जमाने में पति-पत्नी का रिश्ता बेहद औपचारिक सा होता था बीवी घर और बच्चे संभालने में ही जीवन बिता देती थी और पति बाहर काम में और बुजुर्गो के लिहाज में पत्नी के सानिध्य में कम ही जा पाते थे और यहां ये दोनों जब एक दूसरे को इतना प्रेम करते थे तो ज्यादा जी ही नहीं पाएं।
इसके बाद अनिता १५ दिन बाद वापस लखनऊ चली गई उसे परास्नातक जो करना था, लेकिन यहां आकर भी वो तस्वीर और उसके बड़े नाना नानी रह रह कर आज भी उसके ज़ेहन में उभर आते थे।(समाप्त)
समय10:2- शुक्रवार 29/3/24



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