...

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ईश्वर की मर्जी
सुबह का सर्द बादली मौसम था, गांव के तिराहे पर हल्की चहल-पहल थी कुछ दुकानें खुल चुकी थी तो कुछ खुल रहीं थी I

नुक्कड़ की चाय की दुकान पर कुछ पिछड़े समाज के लोग चाय की चुस्की के साथ आपस में बातें कर रहे थे I

"जाड़ा बहुत जोर का है, सुने नहीं पडोसी की ठंड से जान चली गयी" एक चच्चा गहरी सांस लेते हुए बोले I

"अब जो भगवान चाहें" दूसरे चच्चा बोले I

"सही कहत हौ चच्चा वही होगा जो ऊपर वाले चाहत हैं" साथ में बैठा लड़का उत्साहित स्वर में बोला I

"सही कहत हौ बिटवा" सबसे बुजुर्ग...