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और तुम आ गए

अरे मैं वो ग्यारह डिब्बे लाया था साथ में चेन थी, लड्डू की परांत थी। वो सब कहां है क्यों गुस्सा रहे हो वहीं रैक में तो रखा है सब।बाबूआईन ने जरा तेज़ पड़ते हुए कहा ठीक है ठीक है कहते हुए बाबू जी आगे निकल गए।ओ छवि मेरा कुर्ता कहां है। अरे भई मेरी घड़ी नहीं मिल रही। मैंने गोटा लगी साड़ी दर्जी से लाने के लिए कहा था अभी तक कोई नहीं लाया। मेहमान आ रहें हैं और मेजबान ही तैयार नहीं है। आज घर में गहमागहमी का माहौल था माहौल तो कई दिन से गहमा रहा था। लेकिन आज गहमागहमी शबाब पर थी,अफरा तफरी मची थी,सब जल्दी जल्दी तैयार होना चाहते थे। अपूर्व का तिलक जो है
आज। अपूर्व चाचीजी का बड़ा और एकमात्र लड़का है। ये इन्हीं चाचीजी का लड़का है, जो कुछ समय पहले गोटा लगी साड़ी के लिए बुदबुदा रहीं थीं। कुर्ता नहीं मिल रहा, घड़ी नहीं मिली रही की टेंशन वाले सब मेरे चचेरे फुफेरे भाई बहन हैं। और किसी को क्या कहूं मैं खुद ही परेशान थी तुम जो नहीं आये थे मैं चुपचाप तैयार तो हो रही थी मगर मेरा ध्यान तो तुम में
पड़ा था। एक बार धीरज (मेरा चचेरा भाई) को तुम्हें लाने के लिए भेजा था लेकिन उसने मुझे धीरज का पाठ पढ़ाते हुए कहा सब्र करो अभी एक घंटा लगेगा। मैं उदास हो गई। इतनी देर में तो सब चले जायेंगे। मैं तुम्हारे बिना बाहर कैसे जाउंगी और मैं आज तक तुम्हारे बिना बाहर गई ही नहीं
इतनी देर में छुन्नू (मेरा छोटा भाई)) कहीं से उछलता कूदता आ गया। मुझे उदास देखकर पूछने लगा दीदी क्या हुआ उदास क्यों हो। मैंने उसे अपनी सारी व्यथा कथा सुना दी। वो झट बोला ये भी कोई बड़ी बात है, मैं अभी लेकर आता हूं कहता हुआ वो भाग चला। थोड़ी ही देर में वो वापस आ गया। उसके साथ तुम्हें देख कर मैं खुशी से उछल पड़ी। तुम्हारे से पहले तो मैंने छुन्नू को गले से लगा लिया। मैं खुश थी कि आखिर तुम आ ही गये। अब मैं‌भी
सबके साथ जा पाउंगी क्योंकि तुम जो आ गये थे तुम और कोई नहीं मेरे जूते हो जिन्हें मैंने मोची को पालिश करने के लिए दिया था।
© सरिता अग्रवाल