...

105 views

आवाज दिल की..
आज मुद्दतो बाद जब खिड़की खोल के बैठी तो
मुझे कोई अपना नजर नहीं आया |
जब अंदर देखा तो मेरे खुदा ने भी मुझसे मुह मोड़ के रखा था |
बात अगर मोहब्बत की करू तो उसने भी बड़े प्यार से मेरी रुह को एक संदूक मे कैद करके किसी घने जंगल मे छोड़ आया था|

हर रोज मेरी खुदा से बस यही कोशिश रहती है
कि वो ना सिर्फ उस जंगल का रास्ता बताये बल्कि मुझे उस जंगल तक पहुँचने मे मेरी मदत भी करे |
हो सकता है की मैंने उनसे बहोत ज्यादा मांग लिया हो लेकिन उनके अलावा मेरी मदत और कर ही कौन सकता है |
मैं हर सुबह मोहब्बत की सिकस्त और कैद से बाहर आने की शुरुआत करती हू लेकिन हर शाम जिंदगी मुझे थकन की गोद मे सुला देता है |
शुरुआत कहा से करनी मुझे नही पता , मुझे उस जंगल का रास्ता तक नहीं पता......

@Writco
© Ankita siingh