...

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बुढ़ापा
*बुढापा*

🤷‍♀सुबह सुबह किसी ने द्वार खटखटाया,
मैं लपककर आया,
जैसे ही दरवाजा खोला
तो सामने * बुढ़ापा खड़ा * था,
भीतर आने के लिए,
जिद पर अड़ा था..😔

मैंने कहा :
नहीं भाई ! अभी नहीं😔
“ अभी तो * मेरी उमर * ही क्या है..''

वह हँसा और बोला :
* बेकार कि कोशिश * ना कर,
मुझे रोकना नामुमकिन है...

मैंने कहा :
".. अभी तो कुछ दिन रहने दे,
अभी तक * दूसरो के लिए जी * रहा हूँ ..
अब अकल आई है तो कुछ दिन
* अपने लिए और दोस्तों*
के साथ भी जीने दे..''

* बुढ़ापा हंस कर बोला * :
अगर ऐसी बात है तो चिंता मत कर..
* उम्र भले ही तेरी बढ़ेगी *
मगर बुढ़ापा नहीं आएगा,
*तू जब तक दोस्तों के साथ जीएगा*
* खुद को जवान ही पाएगा..*🙏