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एक चिट्ठी
#चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी। विचारों की तंद्रा टूटी कि सुप्रिया आ गई l उसने उसे बताया कि यह चिट्ठी एक पिता ने अपनी बेटी के नाम लिखी थी जिसमें उसने उसे जीवन का फलसफ़ा समझाया हुआ था l उस चिट्ठी से ज़ाहिर हो रहा था कि उस की माँ नहीं है और कॉलेज से जाने की उम्र तक आते आते वह काफ़ी ज़िद्दी और चिड़चिड़ी हो चुकी है l साथ ही उसमें उस पिता द्वारा अपनी बेटी को कुछ मौकों पर समय ना देने का खेद व्यक्त करते हुए माफ़ी भी मांगी गई थी और आगे से इसमें सुधार करने का आश्वासन भी था l माँ के प्यार की कमी पूरी करने की भरपूर उम्मीद जताई गई थी l अंत में...