अपनी बुद्धि का ज्ञान
#WritcoStoryPrompt3
I read it once, then twice. I wasn't imagining it - I had won the lottery!.हां सच में यह लॉटरी ही थी। मैंने अपनी ज़िन्दगी से मिली सीख को शब्दों में पिरो दिया था। जिसे राष्ट्रीय स्तर पर लेखन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मिला था। जिस कहानी के अन्तर्गत लवली नामक लड़का अपने गुरु जी के पास गया। और जब गुरु जी अपने प्रवचन से फ्री हुए तो उन्होंने देखा। कि सभी लोग धीरे धीरे अपने घर जा रहे थे। लेकिन लवली अभी तक नहीं गया था। गुरु जी समझ गए कि लवली कुछ पूछना चाहता है। लेकिन लोगों के सामने झिझक रहा है। आखिर उन्होंने खुद ही पूछा, क्या बात है वत्स! तुम्हारे मन में कोई प्रश्न है?
अगर कुछ पूछना चाहते हो तो खुलकर पूछो?
तब लवली ने कहा, स्वामी जी। ऐसा क्यों होता है कि कई बार तो हमें कोई बात बहुत जल्दी समझ आ जाती है। और कई बार ज्यादा समय लग जाता है?
गुरु जी बोले, लगता है कि तुम्हारे पास दरवाजा बुद्धि है?
लवली ने हैरान होकर पूछा, रबड़ बुद्धि क्या होती है? क्या सभी कि अलग अलग तरह की बुद्धि होती है? क्या बुद्धि के भी प्रकार होते है?
तभी एक सेवक बीच में ही बोल उठा, अरे बुद्धि तो सिर्फ दो तरह की ही होती है। एक अच्छी दूसरी बुरी।
स्वामी जी ने कहा, साधारणतय बुद्धि दो ही तरह की होती है। लेकिन अगर ठीक ठीक से देखा जाए तो समय और उम्र के अनुसार इंसान की बुद्धि में परिवर्तन होता रहता है। इंसान के पास 6 तरह की बुद्धि होती है।
(आश्रम के कई सेवक एक साथ बोल उठे की हमें विस्तार से समझाए)
तब गुरु जी बोले कि पहली बुद्धि है :- 1. लकड़ी बुद्धि :- जैसे लकड़ी में कोई सुराख कर दो तो सुराख अपने आप न तो कम होता है और न ही अधिक। इसी प्रकार कुछ लोग ऐसे होते है, जिन्हें थोड़ा सा समझा दो तो उनके ज्ञान में न कमी आती है न बढ़ोती होती है। ऐसे लोगो के पास लकड़ी बुद्धि होती है।
2. कम्बल बुद्धि :- जैसे किसी दियासलाई से कम्बल में अगर सुराख करो तो सुराख तभी तक रहता है। जब तक कम्बल में दियासलाई। ऐसे कुछ लोग होते है, जब तक उन्हें समझाते रहो। तब तक समझ आता है। बाद में भूल जाते है। अगर ऐसे लोग मिले तो समझो कि उनके पास कम्बल बुद्धि है।
3. पत्थर बुद्धि :- जैसे अगर पत्थर पर पानी डालते रहो तो उस पर बहुत देर बाद असर होता है। ठीक उसी प्रकार कुछ लोगो को बहुत समझाने के काफी बाद असर हो तो समझो कि उनके पास पत्थर बुद्धि है।
4. दरवाजा बुद्धि :- जैसे कहीं का भी दरवाजा हो कभी खुलता है। कभी बंद होता है। कभी कभी खुलने और बंद होने में ज्यादा समय लगाता है। इसी तरह कुछ लोग अगर कभी किसी काम को जल्दी समझे और कभी देर से समझे तो समझो कि उसके पास दरवाजा बुद्धि है।
5. रेडियो बुद्धि :- जैसे जब हम रेडियो चालू करते है तो कभी भी हमारे पसंद के गाने नहीं आते। कभी ही होगा कि अचानक मनपसंद के गाने आए। आपको कुछ ऐसे लोग मिलेंगे। जिन्हें आप समझना कुछ और चाहो लेकिन उनको कुछ और ही समझ आता हो। तो समझना की उनके पास रेडियो बुद्धि है।
6. बांस बुद्धि:- जैसे बांस को थोड़ा सा चीरो तो वो अपने आप चीर जाता है। ऐसे ही कुछ लोग होते है। जिन्हें थोड़ा सा समझाने कि जरूरत होती है। शेष काम वो अपने आप करते जाते है। तब समझना की वो बांस बुद्धि वाले लोग है। ज्यादातर ऐसे लोग ही पसंद किए जाते है।
स्वामी जी बोले, मैंने आप सभी को बुद्धि के छे (6) प्रकार समझा दिए । अब सभी अपने अपने घर जाए।
लवली भी स्वामी जी को प्रणाम करके अपने घर आ गया था। और उसने यह ज्ञान अपनी डेयरी में नोट कर लिया था।
एक बार अख़बार में लेखन प्रतियोगिता के बारे में छपा था। तो उसने अपनी डेयरी के कुछ पन्ने प्रतियोगिता में भेज दिए थे। लेकिन उसने उम्मीद नहीं की थी। कि प्रथम पुरस्कार उसको मिलेगा। उसने तो बाद एक लॉटरी खेली थी।
और आज उसे उस लॉटरी में से प्रथम पुरस्कार मिला था।
© Lovedeep Kapila
I read it once, then twice. I wasn't imagining it - I had won the lottery!.हां सच में यह लॉटरी ही थी। मैंने अपनी ज़िन्दगी से मिली सीख को शब्दों में पिरो दिया था। जिसे राष्ट्रीय स्तर पर लेखन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मिला था। जिस कहानी के अन्तर्गत लवली नामक लड़का अपने गुरु जी के पास गया। और जब गुरु जी अपने प्रवचन से फ्री हुए तो उन्होंने देखा। कि सभी लोग धीरे धीरे अपने घर जा रहे थे। लेकिन लवली अभी तक नहीं गया था। गुरु जी समझ गए कि लवली कुछ पूछना चाहता है। लेकिन लोगों के सामने झिझक रहा है। आखिर उन्होंने खुद ही पूछा, क्या बात है वत्स! तुम्हारे मन में कोई प्रश्न है?
अगर कुछ पूछना चाहते हो तो खुलकर पूछो?
तब लवली ने कहा, स्वामी जी। ऐसा क्यों होता है कि कई बार तो हमें कोई बात बहुत जल्दी समझ आ जाती है। और कई बार ज्यादा समय लग जाता है?
गुरु जी बोले, लगता है कि तुम्हारे पास दरवाजा बुद्धि है?
लवली ने हैरान होकर पूछा, रबड़ बुद्धि क्या होती है? क्या सभी कि अलग अलग तरह की बुद्धि होती है? क्या बुद्धि के भी प्रकार होते है?
तभी एक सेवक बीच में ही बोल उठा, अरे बुद्धि तो सिर्फ दो तरह की ही होती है। एक अच्छी दूसरी बुरी।
स्वामी जी ने कहा, साधारणतय बुद्धि दो ही तरह की होती है। लेकिन अगर ठीक ठीक से देखा जाए तो समय और उम्र के अनुसार इंसान की बुद्धि में परिवर्तन होता रहता है। इंसान के पास 6 तरह की बुद्धि होती है।
(आश्रम के कई सेवक एक साथ बोल उठे की हमें विस्तार से समझाए)
तब गुरु जी बोले कि पहली बुद्धि है :- 1. लकड़ी बुद्धि :- जैसे लकड़ी में कोई सुराख कर दो तो सुराख अपने आप न तो कम होता है और न ही अधिक। इसी प्रकार कुछ लोग ऐसे होते है, जिन्हें थोड़ा सा समझा दो तो उनके ज्ञान में न कमी आती है न बढ़ोती होती है। ऐसे लोगो के पास लकड़ी बुद्धि होती है।
2. कम्बल बुद्धि :- जैसे किसी दियासलाई से कम्बल में अगर सुराख करो तो सुराख तभी तक रहता है। जब तक कम्बल में दियासलाई। ऐसे कुछ लोग होते है, जब तक उन्हें समझाते रहो। तब तक समझ आता है। बाद में भूल जाते है। अगर ऐसे लोग मिले तो समझो कि उनके पास कम्बल बुद्धि है।
3. पत्थर बुद्धि :- जैसे अगर पत्थर पर पानी डालते रहो तो उस पर बहुत देर बाद असर होता है। ठीक उसी प्रकार कुछ लोगो को बहुत समझाने के काफी बाद असर हो तो समझो कि उनके पास पत्थर बुद्धि है।
4. दरवाजा बुद्धि :- जैसे कहीं का भी दरवाजा हो कभी खुलता है। कभी बंद होता है। कभी कभी खुलने और बंद होने में ज्यादा समय लगाता है। इसी तरह कुछ लोग अगर कभी किसी काम को जल्दी समझे और कभी देर से समझे तो समझो कि उसके पास दरवाजा बुद्धि है।
5. रेडियो बुद्धि :- जैसे जब हम रेडियो चालू करते है तो कभी भी हमारे पसंद के गाने नहीं आते। कभी ही होगा कि अचानक मनपसंद के गाने आए। आपको कुछ ऐसे लोग मिलेंगे। जिन्हें आप समझना कुछ और चाहो लेकिन उनको कुछ और ही समझ आता हो। तो समझना की उनके पास रेडियो बुद्धि है।
6. बांस बुद्धि:- जैसे बांस को थोड़ा सा चीरो तो वो अपने आप चीर जाता है। ऐसे ही कुछ लोग होते है। जिन्हें थोड़ा सा समझाने कि जरूरत होती है। शेष काम वो अपने आप करते जाते है। तब समझना की वो बांस बुद्धि वाले लोग है। ज्यादातर ऐसे लोग ही पसंद किए जाते है।
स्वामी जी बोले, मैंने आप सभी को बुद्धि के छे (6) प्रकार समझा दिए । अब सभी अपने अपने घर जाए।
लवली भी स्वामी जी को प्रणाम करके अपने घर आ गया था। और उसने यह ज्ञान अपनी डेयरी में नोट कर लिया था।
एक बार अख़बार में लेखन प्रतियोगिता के बारे में छपा था। तो उसने अपनी डेयरी के कुछ पन्ने प्रतियोगिता में भेज दिए थे। लेकिन उसने उम्मीद नहीं की थी। कि प्रथम पुरस्कार उसको मिलेगा। उसने तो बाद एक लॉटरी खेली थी।
और आज उसे उस लॉटरी में से प्रथम पुरस्कार मिला था।
© Lovedeep Kapila