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एक मेटल की जीवनी
समय हमेशा हीं मेरे लिए एक अबूझ पहेली रहा है । रविवार का दिन था । मैं घर पे मोबाइल में "समय क्या है" यूट्यूब वीडियो देख रहा था। मैं समय के गुत्थी को सुलझाने का प्रयत्न कर रहा था । इसी बीच मेरा बेटा आप्तकाम आया और उसने जग्गी वासुदेव के जवानी का फ़ोटो दिखाया । उसने मुझसे कहा कि जवानी में तो वो गुरु जैसे दिखते हींनहीं थे। इतनी मोटी मूंछे थी उनकी, ये गुरु कैसे हो सकते हैं?

मुझे मेरे बेटे की बात समझ में आ रही थी। शायद वो दाढ़ी वाले गुरुकी बात कर रहा था। उसकी नजरों में जग्गी वासुदेव तो जवानी में कुछ और हीं दीखते थे मोटी मुछों वाले , तो फिर दाढ़ी बढ़ाकर गुरुदेवहोने का दिखावा कर रहे हैं।यदि जवानी में जग्गी वासुदेव दिखने में कुछ और हीं थे , तो फिर अब दाढ़ी बढ़ाने की जरुरुत क्या थी ?

मैंने कहा कि जग्गी वासुदेव को इतने सारे लोग मानते हैं। उन्हें सारे लोग ऐसे हीं तो नहीं गुरु का दर्जा दिए हुए हैं ? इतने ज्यादा लोगों को कोईसाधारण आदमी ऐसे हीं तो नहीं समझा सकता है? कुछ न कुछ तो अनुभूति जरुर हुई होगी ? कहने को तुम भी कह सकते तो भगवान के बारे में , किसने रोका है तुम्हें , पर कितने लोग तुम्हारी बातों को मानेगें ? कुछ न कुछ विशेष तो जरुर है जग्गी वासुदेव में , तभी तो इतने सारे लोग उनका अनुसरण करते हैं ।

मेरा बेटा कहाँ मानने वाला था।आप्तकाम ने आगे कहा कि आसा राम बापू भी तो इतने नामी थे, फिर भी जेल चले गए। राम रहीम के भी तो इतने सारे भक्त थे, पर आखिर में वो निकले कैसे सब जानते हैं? केवल इस बात से कि किसी व्यक्ति अनुसरण बहुत आदमी करते हैं , इससे वो बड़ा आदमी नहीं हो सकता । आखिर हिटलर और मुसोलिनी के भी तो...