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मध्यमवर्गीय…हम-तुम
सफ़रनामा
मध्यमवर्गीय…हम-तुम

आज अलसुबह उठकर बाथरूम की और दौड़ पड़ा, नहा-धोकर ताज महल जो जाना था अपने पर्यटकों के साथ…सो इसी उहापोह में दातून की ट्युब उठाई और दातून बुरुस ( ब्रश) पर लगाते हुए लगा दांत माँजने…अभी दांतों पर दो-चार रिग्गे ही मारे होंगे की नज़रें सीधे मंजन की ट्युब पर गई।

देखा तो पाया कि ट्युब बिलकुल ख़ाली होकर गोल गुलगंडी सी हो गई थी सो लगा की अब इसे डस्टबीन में डाल कर सेवा मुक्त किया जा सकता है। दंतमज्जा करते हुए हाथ ने थोड़ा सा ब्रेक लिया और ट्युब को उठाकर कर डस्टबीन में फेंकने लगा…अभी हाथ डस्टबीन की तरफ़ बढ़ा ही की बाथरूम की बत्तियाँ बंदबुझ होने लगीं….बंदबुझ होती हुई बत्तियाँ एकाएक थम गई और बाथरूम में एक अनंत अंधेरा छा गया….अभी मेरी आँखें उस अंधेरे के प्रति सहज होने हीं लगीं थी कि अचानक बिजलियाँ चमकने लगीं इस बार बिजली की चमक इतनी तेज थी कि बरसों मेरी ही नज़र से ओझल रहा मेरा अपना असली चेहरा भी मुझे नज़र आने लगा।

अभी मैं यह सब देख कर स्तब्ध होने ही वाला था कि यकायक एक आकाशवाणी सुनाई दी….Did you forget that how middle class you are….अबे ज़रा ध्यान से देख ट्युब को उसमें अभी भी दो मर्तबा दांत माँजने लायक़ मंजन बाक़ी है…अभी तो बुरूस के पिछले हत्ते से ट्युब को दबाकर बाक़ी मंजन निकाला जा सकता है….

सच कहूँ तो एकाएक हुई इस आकाशवाणी से मेरी आँखें डबडबा आयीं….और मन भरभरा कर यह सोचने को मजबूर हो की इन फ़िरंगियों के कुसंग में रहकर पड़कर में महात्मा गाँधी के उस मितव्ययिता के सिद्धांत को कैसे भूल गया जिसे समस्त मध्यम आयवर्गिय समाज ने एक स्वर में अंगीकार किया है…..नम व स्नेह भरी आँखों से देखते हुए मैंने उस मंजन की ट्युब को वापस से बेग में डाला और तुरंत बेग की चेन बंद की ताकी कहीं ताज महल की आपाधापी में वो मंजन की ट्युब कहीं फिर से वहीं ना छूट जाए।

अब मेरे हृदय के उद्गार से बस यही आवाज़ आ रही थी कि….है प्रभु , हे प्रेमानन्द जगन्नाथम आज आपने मुझ अल्पज्ञानी के हाथों से अक्षम्य अपराध होने से बचा लिया मैं हृदय की गहराइयों उस आकाशवाणी का धन्यवाद करते हुए “भीजे कान भए स्नान” की परिकल्पना को आत्मसात् कर आनन-फ़ानन में में होटल के रिसेप्शन की और दौड़ पड़ा ताज महल जाने के लिए।

विशेष नोट- क़िस्सा सत्य घटना पर आधारित है अतः काल्पनिक समझ कर मध्यमवर्गीय लोगों की भावनाओं को आहत ना करें।

✍️ विक्की सिंह सपोटरा
सफ़रनामा- मध्यमवर्गीय…हम-तुम
स्थान- आगरा, फ़रवरी 2024
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