सहारे के सहारे.....
एक विद्वान किसी गाँव से गुजर रहा था। उसे याद आया कि उसके बचपन का मित्र इस गाँव में रहता है। उसने सोचा कि चलो उससे मिला जाये।
वह मित्र के घर पहुँचा। वहाँ पहुँचकर उसने देखा कि उसका मित्र गरीबी व दरिद्रता में रह रहा है। साथ में दो नौजवान भाई भी हैं।
वह अपने मित्र से बातचीत करने लगा। बातें करते-करते शाम हो गई। विद्वान ने देखा, मित्र के दोनों भाइयों ने घर के पीछे आँगन में फली के पेड़ से कुछ फलियाँ तोडीं और घर के बाहर बेचकर चंद पैसे कमाये और उनसे दाल-आटा खरीद कर ले आये। तीन भाई व विद्वान के लिए भोजन की मात्रा कम थी। विद्वान के लिए...