...

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रेलगाड़ी का वो सफर
ये बात वर्ष 2016 की जब पहली बार में बस का सफर छोड़ कर रेलगाड़ी में जा रहा था ,
हड़बड़ी में भागते हुए में रेलगाड़ी में चढा
और हापंते हुए अपने सीट तक पहुंचा , पहुंच के मेने अपना सामान रखा , सीट पर बैठ गया इतने में कही दूसरी सीट से मधुर ध्वनि सी सुनाई की सुनिए ये एस 5 कोच है ना में फोन फोन के गीत सुनने मे मगन था की इतने में
एक कोमल हाथ मेरे कंधे पर आ लगा और
भभक कर उठा की कोन है भाई , और मेने देखा की एक बिंदी लगाए और मुस्कान हुए चहरे से एक आवाज ने मुझे की ये सीट मेरी है
इतने में मेने अपनी टिकट निकाली और देखी तो पता चला की वो सीट उनकी थी , और मेरी उनके सामने वाली सीट थी , हम अपनी अपनी सीट पर बैठे रेलगाड़ी रवाना हुई और हम वापस अपने फोन में लग गए ,कुछ क्षण बीते तो मेने देखा की वो मुस्काता चहरा मुझे...