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प्यार और पसंद
certificate और land के सहारे सम्बन्धों का आंकलन बंद करो, अगर यहीं से प्यार की शुरूआत होती तो तमाम लङके और लडकियाँ एक ही स्थान पर होते, प्यार तो दो लोंगो के अन्तर्मन में उठी एक भावना है न कि कोई चिंगारी, गर आपने प्रणय की चिंगारी लगा रखी है तो उसे बदल लो क्यूँकि कैसी भी सही आग हमेशा बुझ ही जाती है.....

जिस्से प्यार करो उसे हमेशा ऊपर ले जाने का प्रयत्न करो...

जो लोग आपको पंसद करते हैं उनसे जरा बचकर रहना मेरे दोस्त....


क्यूँकि प्यार और पसंद में बहुत फर्क होता है किसी की पसंद आपके पतन का कारण हो सकती है और किसी का प्यार आपके उत्थान का सहायक...

for example....

जब हम किसी पक्षी को पसंद करते हैं तो हमारी चाहत होती है कि वह एक पिंजरे में हमारे साथ रहे जैसे तोते को अगर आप पसंद करते हैं तो उसे आप एक पिंजरे में कैद कर लेते हैं, और आप फिर नहीं चाहते कि वे गगन में मस्त उङता हुआ बुलन्दी तक पहुँचे...

वहीं दूसरी ओर आप किसी पक्षी से प्यार करते हैं तो वह आपको उङता हुआ अच्छा लगेगा, एक स्थान पर परेशान बैठने पर आपको भी दुख होगा, आपकी भावनाऐं उससे जुङी हुई होंगी, अब उदाहरण तोते का लो या मोर का....


इसलिए हमेशा किसी की पसंद बनने से बचो.....


© अनुराग तिवारी